लखनऊ, 16 जनवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को राजधानी के गोमतीनगर इलाके में स्थित जियामऊ में एक विवादित भूमि से संबंधित दस्तावेजों को अवलोकन के लिए सीलबंद लिफाफे में रख दिया।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित करने को चुनौती देते हुए शुक्रवार को मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति बीआर सिंह की पीठ ने अब्बास अंसारी, असमा हुसैन, फ़राज़ हुसैन, नदीम-उर-रहमान और अन्य द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
नौ जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने कार्यवाही में विलंब होने पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद यह मामला चर्चा में रहा था।
शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया था।
अब्बास अंसारी ने 2023 में एक याचिका दायर कर 14 अगस्त, 2020 को उप जिलाधिकारी (एसडीएम), सदर द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी, जिसमें उन्होंने जियामऊ में स्थित गाटा संख्या 93 को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। लगभग पांच बीघा और तीन बिस्वा की भूमि का उपयोग अंसारी परिवार द्वारा कथित रूप से कानूनी मंजूरी के बिना एक इमारत बनाने के लिए किया गया था।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने आरोप लगाया कि अंसारी ने धोखाधड़ी करके वह जमीन हासिल की। भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित करने के बाद सरकार ने संबंधित जमीन पर पुनर्विकास परियोजना शुरू की थी जिसमें गरीबों के लिए घर बनाए गए थे।
एसडीएम के आदेश में कहा गया है कि अंसारी ने स्वामित्व का दावा करने के लिए अभिलेखों में हेराफेरी की, जबकि संपत्ति को शत्रु संपत्ति के रूप में नामित किया गया था।
सीलबंद दस्तावेजों की जांच के बाद उच्च न्यायालय ने मामले की आगे की समीक्षा करने का फैसला किया। अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
भाषा सं सलीम जोहेब
जोहेब