मुजफ्फरनगर (उप्र), पांच दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक स्कूल की दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को अपने मुस्लिम दोस्त को थप्पड़ मारने के लिए कहने वाली अध्यापिका की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। एक वकील ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पिछले वर्ष इस घटना के सामने आने के बाद लोगों में व्यापक आक्रोश फैल गया था।
न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की अदालत ने अध्यापिक तृप्ति त्यागी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें इस आदेश की तिथि से दो सप्ताह के भीतर संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत याचिका के लिए अर्जी दायर करने का निर्देश दिया।
अदालत ने 23 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि दो सप्ताह की अवधि या याचिकाकर्ता के निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के समय तक उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पीड़ित पक्ष के वकील कामरान जैदी ने बताया कि अधीनस्थ न्यायालय 16 अक्टूबर को पहले ही आरोपी अध्यापिका की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुका है और अब उच्च न्यायालय ने भी निर्णय को सही ठहराया है।ॉ
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पुलिस ने आरोपी अध्यापिका तृप्ति त्यागी के खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 504 और 295ए सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत भी अध्यापिका के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
पिछले वर्ष अगस्त में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें खुब्बापुर गांव में अध्यापिका त्यागी दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को एक मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने का निर्देश देती और सांप्रदायिक टिप्पणी करती हुई नजर आ रही थी।
पुलिस ने इस घटना को लेकर अध्यापिका के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जबकि स्कूल को भी प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने 10 नवंबर, 2023 को पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग कराने का आदेश दिया था, जिसका पालन नहीं करने के लिए प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई थी।
भाषा सं राजेंद्र जितेंद्र
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