(आनन्द राय)
लखनऊ, 13 अक्टूबर (भाषा) हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों में हार के बाद उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों में से छह सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा उम्मीदवार घोषित करने के दोहरे झटके से कांग्रेस उबरने की कोशिश में जुटी है।
पार्टी रणनीतिकारों को उम्मीद है कि सपा के साथ गठबंधन का कोई बेहतर रास्ता निकाल लिया जाएगा, जिससे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिकस्त देने में सफलता मिलेगी।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और उप्र के प्रभारी अविनाश पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “एक बात तो स्पष्ट है कि कहीं पर कोई नतीजे अगर उम्मीदों के अनुसार नहीं आते तो स्वाभाविक है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं को दुख और निराशा होगी। लेकिन पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने लक्ष्य पर केंद्रित हैं क्योंकि यहां ‘जंगलराज’ का खात्मा करना है।”
कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हरियाणा में कांग्रेस की पराजय का ही नतीजा रहा कि परिणाम आते ही सपा ने राज्य में छह सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। अगर वहां (हरियाणा) हमारी सरकार बनी होती तो सपा ऐसी हरकत न करती।”
अविनाश पांडेय ने हालांकि संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि यह विषय (टिकट बंटवारा) अभी चर्चा में हैं, अभी भी संवाद जारी है और समय रहते विचार-विमर्श कर इन चीजों को आपस में हल किया जाएगा। यह बड़ी समस्या नहीं है। यह भी स्पष्ट कर दूं कि कोई चीज असंभव नहीं है, संभावना अभी भी बनी हुई है।
राजनीतिक विशेषज्ञों से लेकर मीडिया की अटकलों को दरकिनार करते हुए भाजपा ने हरियाणा में 90 में 48 सीट जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई और कांग्रेस की सरकारी बनाने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
वहीं इससे पहले लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 सीट में से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों सपा ने 37 और कांग्रेस ने छह सीट पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में मिली जीत से राज्य में लंबे समय तक हाशिये पर रही कांग्रेस का हौसला बढ़ा और उसने 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी थी।
राज्य की 10 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव इसका पूर्वाभ्यास माना जा रहा था, जिसे लेकर कांग्रेस खासी उत्साहित थी।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने 10 में से पांच सीट पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस नेतृत्व को अपना प्रस्ताव भी भेज दिया था लेकिन हरियाणा का परिणाम घोषित होते ही सपा ने छह सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए और उनमें वह दो प्रमुख सीट भी शामिल हैं, जिस पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी।
सपा ने बुधवार को करहल (मैनपुरी), सीसामऊ (कानपुर नगर), मिल्कीपुर (अयोध्या), कटेहरी (अंबेडकरनगर), फूलपुर (प्रयागराज) और मझवां (मिर्जापुर) सीट पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए।
फूलपुर और मझवां उन पांच सीट में शामिल थीं, जिस पर कांग्रेस चुनाव लड़ने की मांग कर रही है।
सपा ने अभी कुंदरकी, मीरापुर, गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं।
सपा के जियाउर्रहमान बर्क ने 2022 में कुंदरकी सीट पर जीत हासिल की थी और अब उनके सांसद निर्वाचित होने के बाद इस सीट पर सपा का ही दावा है लेकिन कांग्रेस के लिए मीरापुर, गाजियाबाद और खैर में ही संभावना बची है।
मीरापुर सीट पर 2022 विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के चंदन चौहान ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर भाजपा दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर थी जबकि पांचवें नंबर पर रही कांग्रेस को मात्र 1258 मतों से ही संतोष करना पड़ा था।
वहीं गाजियाबाद सीट भाजपा के अतुल गर्ग ने 1,50,205 मत पाकर जीती जबकि दूसरे नंबर पर सपा, तीसरे पर बसपा और चौथे पर कांग्रेस थी। यहां कांग्रेस उम्मीदवार को 11,818 मत मिले जबकि सपा को 44668 मत मिले थे।
अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट भाजपा के अनूप वाल्मीकि ने 1,39,643 मत पाकर जीती और उनके मुकाबले बसपा दूसरे, रालोद तीसरे और कांग्रेस चौथे स्थान पर थी। यहां कांग्रेस उम्मीदवार को मात्र 1,514 मत मिले थे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2022 विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद सीट सपा के लिए अनुकूल नहीं रही और मीरापुर व खैर सीट रिश्ता बचाने के लिए कांग्रेस को दे सकती है।
प्रदेशाध्यक्ष राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हरियाणा में कांग्रेस अति आत्मविश्वास में हार गयी लेकिन उत्तर प्रदेश में हम लोग जमीन पर काम कर रहे हैं और कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों मिलकर भाजपा की तानाशाही के खिलाफ उपचुनाव लड़ेंगे और हम लोग जीतेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम लोग पहले से कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के जंगलराज के खिलाफ सपा के साथ मिलकर लड़ेंगे और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी कह दिया है। निश्चित रूप से यहां की जनता भाजपा को सबक सिखाएगी।”
अजय राय ने यह भी स्पष्ट किया कि उपचुनाव वाली 10 सीट में जहां भाजपा को 2022 में पराजय मिली थी उन पांच सीट पर चुनाव लड़ने के लिए हमने पार्टी नेतृत्व को प्रस्ताव भेजा था।
उन्होंने कहा कि उन पांच सीटों में दो पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिया लेकिन बहुत जल्द नेतृत्व का निर्णय सामने आ जाएगा।
राय ने दावा किया कि कांग्रेस कार्यकर्ता निराश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस दोनों का लक्ष्य भाजपा का जंगलराज खत्म करना है और इसके लिए हम लोग मिलकर लड़ेंगे और अपेक्षित परिणाम लाएंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी दोनों नेताओं ने अलग-अलग बातचीत में इस बात पर मजबूती से जोर दिया कि सपा के साथ गठबंधन बना रहेगा और उपचुनाव में टिकट बंटवारा कोई मुद्दा नहीं रहेगा।
इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और विधानसभा में नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय ने यह दावा किया कि उपचुनाव में सभी 10 सीटों पर कांग्रेस के साथ मिलकर ही समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी।
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सपा आगामी उपचुनाव कांग्रेस के साथ ही मिलकर लड़ेगी और जहां तक अन्य (चार) सीट पर उम्मीदवारों के चयन का सवाल है तो यह फैसला पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लेंगे।
अविनाश पांडेय ने कहा, “राज्य में इस समय परिस्थिति कुछ अलग है। राजनीतिक गठजोड़ तो होते ही हैं लेकिन प्रदेश में बुलडोजर राज, जंगलराज की चुनौती सिर्फ कांग्रेस के लिए अकेले की चुनौती नहीं है।”
उन्होंने कहा कि जिस तरह बंटवारे की राजनीति हरियाणा में हुई, स्वाभाविक है कि यह दोनों पार्टी के लिए सावधानी का संकेत है कि कार्यकर्ता जो मेहनत कर रहे हैं, उसे और मजबूती से करना होगा। और निश्चित रूप से इंडिया गठबंधन के जितने भी घटक दल हैं उनके लिए भी यह बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि बुलडोजर राज के खात्मे के लिए हम सब मिलकर लड़ेंगे।
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीट-कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मिल्कीपुर (अयोध्या), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) पर उपचुनाव होना है। इनमें कानपुर की सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने से रिक्त हुई है जबकि शेष नौ सीट विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से रिक्त हुईं।
वर्ष 2022 में उप्र की के 403 सदस्यीय विधानसभा में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट पर सपा को जीत मिली थी जबकि फूलपुर, गाजियाबाद और खैर में भाजपा तथा मझवा में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने जीत दर्ज की थी।
मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में गई थी, जो उस समय सपा की सहयोगी थी।
भाषा आनन्द जितेंद्र
जितेंद्र