उप्र मंदिर-मस्जिद विवाद : शांतिपूर्ण रही बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं वर्षगांठ

उप्र मंदिर-मस्जिद विवाद : शांतिपूर्ण रही बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं वर्षगांठ

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  • Publish Date - December 6, 2024 / 09:23 PM IST,
    Updated On - December 6, 2024 / 09:23 PM IST

लखनऊ, छह दिसंबर (भाषा) बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं वर्षगांठ भले ही शांतिपूर्ण ढंग से बीत गई, लेकिन प्रदेश में कई मंदिर-मस्जिद विवाद अब भी बरकरार हैं जिनको लेकर तनाव कभी भी उसी तरह से बढ़ सकता है जैसा कि संभल में बढ़ा, जहां हाल ही में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह बाबरी विध्वंस की पहली वर्षगांठ थी।

प्रदेश के पूर्व मंत्री और विश्व हिंदू परिषद के नेता विनय कटियार जैसे कुछ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता यहां तक दावा करते हैं कि आगरा का ताजमहल वास्तव में तेजो महालय या शिव मंदिर पर बना है।

इस बीच, इत्तेहाद-ए-मिलात परिषद के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने मंगलवार को कहा था कि धार्मिक स्थलों की खुदाई से कुछ ना कुछ तो निकलेगा और यही बेहतर होगा कि देशहित में खुदाई का विचार छोड़ देना चाहिए।

यहां उत्तर प्रदेश में उन स्थानों की सूची है जहां लगातार विवाद बना हुआ है।

बागपत—

इस वर्ष फरवरी में बागपत की एक अदालत ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर एक दशक पुरानी याचिका खारिज कर दी। यह याचिका उस स्थान को लेकर दायर की गई थी जिसे हिंदू पक्ष महाभारत काल का लाक्षागृह होने का दावा करते हैं। वहीं, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह एक कब्रगाह और सूफी संत शेख बदरुद्दीन की दरगाह है।

इस याचिका में प्रतिवादियों के वकील रणवीर सिंह तोमर के मुताबिक, जिले के सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शिवम द्विवेदी ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि बरनावा में ना ही कब्रगाह थी और ना ही दरगाह।

संभल—

प्रदेश का संभल जिला 19 नवंबर से ही सुर्खियों में है जब अदालत के आदेश पर मुगलकालीन एक मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि पूर्व में इस स्थान पर हरिहर मंदिर हुआ करता था। चौबीस नवंबर को दूसरे सर्वेक्षण के दौरान शाही जामा मस्जिद के पास विरोध करने वाले लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए और सुरक्षाकर्मियों के साथ उनका टकराव हुआ। इस हिंसा में चार लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए।

लखनऊ—-

लखनऊ में जहां टीले वाली मस्जिद स्थित है, वहां लक्ष्मण टीला की पूजा करने का अधिकार मांगने वाले एक दीवानी वाद पर आपत्ति खारिज करने के निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी गई जिसे अपर जिला जज की अदालत ने 28 फरवरी, 2024 को खारिज कर दिया।

हिंदू पक्ष द्वारा दायर इस वाद के मुताबिक, टीले वाली मस्जिद के करीब शेषनागेश टीलेश्वर महादेव का एक मंदिर स्थित है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब के समय लक्ष्मण टीले को ध्वस्त कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया जिसे अब टीले वाली मस्जिद कहा जाता है।

हिंदू पक्ष ने दलील दी कि जून, 2023 में जब वे उस स्थान पर पूजा अर्चना करने गए तो उन्हें मुस्लिम पक्ष द्वारा धमकी दी गई जिसके बाद उन्होंने यह वाद दायर किया।

बदायूं—-

बदायूं में एक हिंदू संगठन ने जामा मस्जिद शम्सी में पूजा करने की अनुमति दिए जाने की मांग करते हुए स्थानीय अदालत का रुख किया। उसका दावा है कि यह मस्जिद पहले एक मंदिर था। अदालत ने मंगलवार को मुस्लिम पक्ष को 10 दिसंबर तक अपनी बहस पूरी करने को कहा।

यह मामला 2022 के समय का है जब अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि मस्जिद के स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर था। सम्सउद्दीन इल्तुतमिश ने इसे ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करा दिया। यह मस्जिद सोठा मोहल्ला नाम के एक ऊंचे इलाके में बनी है और इसे बदायूं में सबसे ऊंचा ढांचा कहा जाता है। इसे देश में सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद माना जाता है जहां 23,500 लोगों के बैठने की क्षमता है।

मथुरा—-

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद काफी पुराना है और हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण उस मंदिर को तोड़कर किया गया है जो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने कई आधार पर इसका विरोध किया है। यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है।

वाराणसी—

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि उस स्थान पर एक मंदिर हुआ करता था जिसे 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया।

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, आदि विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग जिसे ज्ञानवापी मंदिर कहा जाता था, 18 अप्रैल, 1679 में औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया।

यादव ने कहा कि औरंगजेब के सचिव वजीर साकी मुस्तैद खान ने अपनी डायरी में इसका उल्लेख किया है जो एसियाटिक सोसाइटी, कोलकाता में संरक्षित है। ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है।

भाषा

राजेंद्र, रवि कांत रवि कांत