उप्र : जेल के कैदियों के आवेदन पत्र लिखने वाला बंदी कुलदीप बना ‘लखपति’

उप्र : जेल के कैदियों के आवेदन पत्र लिखने वाला बंदी कुलदीप बना 'लखपति'

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  • Publish Date - September 6, 2024 / 04:23 PM IST,
    Updated On - September 6, 2024 / 04:23 PM IST

फर्रुखाबाद (उप्र) छह सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक कैदी कानूनी सलाह और पत्र लिखने में अन्य कैदियों की सहायता कर ‘लखपति’ बन गया और उसे 1.04 लाख रुपये का पारिश्रमिक मिला है।

जेल अधिकारियों के मुताबिक कैदी कुलदीप सिंह को विधिक सेवा प्राधिकरण से यह पारिश्रमिक मिला है। सिंह 14 नवंबर, 2017 से जिला जेल में बंद है और उसके पास स्नातक की डिग्री है।

हत्या के एक मामले में दोषी कुलदीप आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने उसे याचिका लिखने के लिए कैदी सहायक नियुक्त किया था।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव अचल प्रताप सिंह ने उसके काम से प्रभावित होकर 19 मई, 2022 को उसे जेल में स्थापित ‘लीगल एड क्लिनिक’ में ‘‘पैरा-लीगल वालंटियर’’ नियुक्त किया था।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संजय कुमार ने बताया कि समय के साथ सिंह ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन लगन से किया और हाल ही में कुलदीप के बैंक खाते में 1.04 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर की गई।

जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘जमा राशि दिखाने वाला बैंक स्टेटमेंट मिलने पर कुलदीप बहुत खुश हुआ। इस घटना ने अन्य कैदियों को भी लगन से काम करने के लिए प्रेरित किया है।’

उन्होंने कहा, ‘पैरा लीगल वॉलंटियर उन कैदियों की मदद करते हैं जो कानूनी सलाह लेने में असमर्थ हैं। ऐसे वॉलंटियर (स्वयंसेवी) उन्हें बुनियादी कानूनी सलाह, याचिकाओं का मसौदा तैयार करने या आधिकारिक संचार में मदद करते हैं।’

हालांकि, कैदियों से वकील के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन ‘‘पैरा लीगल वॉलंटियर’’ को विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पारिश्रमिक दिया जाता है।

मुकुंद ने कहा, ‘कैदी अपनी कमाई का इस्तेमाल अपने परिवार का भरण-पोषण करने, अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने और कानूनी फीस चुकाने में करते हैं।’

उन्होंने कहा कि कई कैदियों ने अपनी कमाई का इस्तेमाल जुर्माना भरने और जेल से अपनी रिहाई सुनिश्चित करने में किया है। उन्होंने कहा कि जेल में बंद कैदी अपने परिजनों को चेक के माध्यम से पैसे भेजते हैं।

सिंह की चर्चा करते हुए जेल अधीक्षक ने कहा कि 2008 में किसी ने उसके दादा पर हमला किया और उस समय 20 साल के सिंह ने हमलावर को जमीन पर पटक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

मुकुंद ने कहा कि बाद में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

जेल अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले किसी कैदी को किया गया सबसे अधिक भुगतान 50,000 रुपये का था।

जिला जेल में अभी 677 कैदी हैं जिनमें से 80 विभिन्न मामलों में दोषी हैं।

भाषा सं जफर मनीषा अविनाश

अविनाश

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