फीस जमा नहीं कराने पर सीट गंवाने वाले दलित युवक को शीर्ष अदालत से मिली राहत, जश्न का महौल

फीस जमा नहीं कराने पर सीट गंवाने वाले दलित युवक को शीर्ष अदालत से मिली राहत, जश्न का महौल

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  • Publish Date - September 30, 2024 / 10:38 PM IST,
    Updated On - September 30, 2024 / 10:38 PM IST

मुजफ्फरनगर (उप्र), 30 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), धनबाद में फीस जमा न करने के कारण सीट गंवाने वाले एक दलित युवक को संस्थान से उसे बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का आदेश दिये जाने के बाद मुजफ्फरनगर जिले में स्थित उसके पैतृक टिटोरा गांव में खुशी की लहर दौड़ गयी।

सूचना मिलने पर ग्रामीण ढोल व अन्य वाद्ययंत्रों के साथ नाचने लगे और गांव में मिठाइयां बांटी। इस बीच, अतुल कुमार की मां राश देवी ने कहा, ‘‘हम अपने बेटे अतुल कुमार को प्रवेश की अनुमति मिलने से बहुत खुश हैं।’’ उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत किया।

दलित छात्र के भाई अमित कुमार ने भी खुशी जाहिर की।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता।’’

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी, धनबाद को अतुल कुमार को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का आदेश दिया।

संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है।

अतुल कुमार (18) के माता-पिता 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये जमा करने में विफल रहे, जो आवश्यक शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि थी। कड़ी मेहनत से हासिल की गई सीट को बचाने के लिए युवक के माता-पिता ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड कानूनी सेवा प्राधिकरण और मद्रास उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया।

कुमार, एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा है। उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के टिटोरा गांव में उसका परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है।

भाषा सं आनन्द धीरज

धीरज