एसटीएफ निरीक्षक सुनील कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया

एसटीएफ निरीक्षक सुनील कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया

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  • Publish Date - January 23, 2025 / 02:34 PM IST,
    Updated On - January 23, 2025 / 02:34 PM IST

मेरठ (उप्र), 23 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के शामली में कग्गा गिरोह के साथ मुठभेड़ में जान गंवाने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के निरीक्षक सुनील कुमार का बृहस्पतिवार को शामली जिले में उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

सुनील, गिरोह के साथ 20 जनवरी देर रात हुई मुठभेड़ के दौरान पेट में दो गोली लगने से घायल हो गए थे। उन्हें हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई। पुलिस के अनुसार, 36 घंटे बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

मुठभेड़ में पुलिस ने चार बदमाशों को भी मार गिराया था।

बुधवार देर रात उनका पार्थिव शरीर मेरठ लाकर जसवंत राय अस्पताल में रखा गया।

बृहपतिवार को पार्थिव शरीर पुलिस लाइन स्थित शहीद स्मारक पर लाया गया जहां ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।

एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर, एसटीएफ लखनऊ के एसएसपी घुले सुजीत चंद्र भान, डीआईजी कलानिधि नैथानी और एसएसपी डॉ. विपिन ताडा सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने कुमार को श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान कुमार के बेटे मंजीत ने नम आंखों से पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाते हुए कहा, ‘‘पापा, आज कुछ तो बोलो।’’

श्रद्धांजलि के बाद कुमार के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव मसूरी ले जाया गया।

हजारों स्थानीय लोग उनके घर से श्मशान घाट तक अंतिम संस्कार में शामिल हुए। परिवार के सदस्यों और राज्य मंत्री दिनेश खटीक, मेरठ के सांसद अरुण गोविल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी सहित प्रमुख लोगों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया।

इंचौली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव के मूल निवासी कुमार, एक सितंबर 1990 को कांस्टेबल के पद पर पुलिस में भर्ती हुए थे। 1997 में कमांडो कोर्स पूरा करने के बाद वह, जनवरी 2009 में एसटीएफ में शामिल हुए, जहां उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कुमार के भतीजे अजीत सिंह ने बताया कि सुनील अपने कॉलेज के दिनों में कबड्डी खिलाड़ी थे और कई पदक भी जीते।

कुमार के बड़े भाई अनिल गांव में खेती करते हैं और दोनों का परिवार एक साथ ही रहता है। परिवार में कुमार की मां अतरकली देवी, पत्नी मुनेश देवी और दो विवाहित बच्चे मंजीत काकरान और नेहा चौधरी हैं।

रिश्तेदारों ने बताया कि कुमार का स्वभाव बेहद मिलनसार था और मुठभेड़ से एक सप्ताह पहले ही वह अपने परिवार से मिलने आये थे।

परिजनों के अनुसार उनकी सेवानिवृत्ति में करीब आठ साल का समय था। कुमार को पुलिस पदक सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। अपने कार्यकाल में उन्होंने बड़े-बड़े अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया। उन्होंने कई अभियानों का नेतृत्व किया और सफलता दिलाई।

भाषा सं जफर खारी

खारी