Story of Batuks of Ayodhya : अयोध्या। भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या वैसे तो अपने यश वैभव के लिए अनादि काल से जानी जाती है। साथ ही यहां हजारों मठ मंदिरों के साथ साथ छोटे बड़े आश्रम भी हैं जिनमे साधु मंहत निवास करते हैं। प्रभु राम की नगरी सनातन धर्म की भी पोषक है। अयोध्या में गुरुकुल परंपरा के कई आश्रम आज भी संचालित हैं जहां भविष्य के लिए सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक तैयार हो रहे हैं। आश्रमों में शिक्षा कुछ इस तरह दी जा रही है कि अयोध्या में पढ़ रहे छोटे-छोटे बच्चे भी संस्कृत में निपुण हैं।
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आप जब कभी भी अयोध्या में प्रभु श्री राम के दर्शन करने आए होंगे तो आपने अयोध्या की गलियों में रामानंदी तिलक लगाए हुए छोटे छोटे बच्चे जिन्हे संस्कृत की भाषा में बटुक भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलियों में आते जाते दिखाई देते ये बटुक सिर्फ अयोध्या के नहीं बल्कि देश के अनेक हिस्सों से आकर अयोध्या में रहते हैं और संस्कृत में शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के लिए अपने घर परिवार को छोड़कर यहां के आश्रमों में रहते हैं।
पौराणिक शिक्षा दीक्षा के साथ साथ कर्मकांड, ज्योतिष, और व्याकरण जैसी पढ़ाई करते हैं। अयोध्या की गली गली में गुरुकुल परंपरा की तरह के आश्रम हैं। जहां आश्रमों के महंत बच्चों को निशुल्क रहन सहन के साथ सनातनी शिक्षा भी देते हैं। सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि दैनिक जीवन में सदाचार और आचरण को अपनाने के साथ साथ गौ सेवा, अतिथि सेवा, भोजन बनाने जैसी समस्त दैनिक क्रियाओं में बटुक छात्रों को निपुण किया जाता है।
अपने घर परिवार से दूर अयोध्या के इन आश्रमों में रहकर ये सभी बटुक विद्या अध्ययन कराने में जहां अयोध्या के आश्रम सनातन के पोषक कहे जा सकते है तो दूसरी तरफ आश्रम के महंतों का इसमें अहम योगदान माना जाता है क्योंकि आश्रम में रहने और खाने पीने की निशुल्क व्यवस्था के साथ साथ उन्हें मां बाप को तरह स्नेह और एक गुरु बनकर अनुशासन और आचरण की शिक्षा आश्रम के महंतों द्वारा दी जाती है जिससे कि वे आगे जाकर सनातन सभ्यता को आगे बढ़ाते हुए सभी विद्याओं में पारंगत हो सकें।
श्री रघुनाथ देशिक महाराज ने बताया कि अयोध्या के आश्रमों में रहकर और संस्कृत विद्यालयों में पढ़कर विद्या ग्रहण करने वाले ये बटुक छात्र ज्योतिष, कर्मकांड, व्याकरण, पूजन हवन जैसी विद्याओं को पाने के साथ साथ भागवत पुराण, रामकथा, शिवपुराण जैसी कथाओं को भी सीखते हैं और आगे चलकर इन्हीं बटुक छात्रों में से अनेक छात्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक बनकर सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं जिससे कि सनातन के ध्वजवाहक बनकर सनातन की महिमा का व्याख्यान देश विदेश में बताया जा सके।