गोंडा (उप्र) 18 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की एक विशेष अदालत ने करीब 14 वर्ष पूर्व हुई एक दलित व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या के मामले में शुक्रवार को सात आरोपियों को आजीवन कारावास तथा 21-21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक केपी सिंह एवं हर्षवर्धन पाण्डेय ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (एससी एसटी एक्ट) नासिर अहमद ने मामले की सुनवाई करते हुए पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन और अभियोजन व बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनकर सात आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने प्रत्येक दोषसिद्ध आरोपी को 21-21 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया और यह निर्देश दिया कि अर्थदंड की अदायगी न करने पर अतिरिक्त सज़ा भुगतनी होगी।
दोनों लोक अभियोजकों ने घटना के संदर्भ में बताया कि वर्ष 2010 में जिले के मोतीगंज थाने में बनकटी सूर्यबली सिंह निवासी प्रेमचंद ने नौ अभियुक्तों के खिलाफ विजय कुमार (45) की गैर इरादतन हत्या का अभियोग दर्ज कराया था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मामले में विवेचना के उपरांत सभी नौ आरोपियों राजू, गोमती प्रसाद, संतराम, खुनखुन, गुरुदेव, नौबत, हवलदार, धर्म बहादुर व दूधनाथ के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत अन्य संबंधित धाराओं के साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप पत्र अदालत में प्रेषित किया।
सत्र परीक्षण के दौरान राजू व गोमती प्रसाद की मौत हो गई और अदालत ने शुक्रवार को अन्य सात अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
भाषा सं आनन्द रंजन
रंजन
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