संभल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तय कार्यक्रम के अनुसार उत्तर प्रदेश के संभल पहुंचे। यहाँ उन्होंने विधिविधान और मंत्रोच्चार के साथ कल्कि धाम का शिलान्यास किया। इस अवसर पर देश-प्रदेश से आएं बड़े संत और महात्मा अवसर पर मौजूद रहे। खुद राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मंच पर उपस्थित हैं।
अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने इस अवसर के लिए कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद समेत सभी संतो का आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने आचार्य प्रमोद के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री के लिए उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं हैं। वह आज सिर्फ उन्हें भावना ही दे सकते हैं। पीएम ने कहा कि ठीक हुआ कि आपने मुझे कुछ नहीं दिया। समय ऐसा चल रहा हैं कि आज अगर श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा को मुठीभर चावल भी दे देते तो उनपर कोर्ट में मुकदमा हो जाता, उन्हें भ्रष्टाचारी बता दिया जाता।
PM Modi in Kalki Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा की पिछले दिनों अयोध्या में हमने रामलला का आगमन देखा। यह हमारे लिए भावुक करने वाला क्षण था। हमने 500 वर्षों की प्रतीक्षा को ख़त्म होते देखा। रामलला का आगमन सामान्य नहीं था बल्कि यह भारत के लिए नए युग का आरम्भ था। हमारी पीढ़ी ने स्वप्न को हकीकत में बदलते देखा यह हमारा परम सौभाग्य रहा।
PM Modi in Kalki Dham: पीएम ने आचार्य प्रमोद के सेवा भाव की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि आज उनकी दिवंगत माँ जहां कही भी होगी वह अपने बेटे के वचनबद्धता को देखकर हर्षित होगी। वे आचार्य प्रमोद को राजनेता के तौर अपर ही जानते थे लेकिन अब उन्हें मालूम हुआ की वह बहुत बड़े सेवक भी हैं। उन्होंने कहा कि आज से पहले तक इस धाम के शिलान्यास के लिए उन्हें कई मुसीबते झेलनी पड़ी, कोर्ट के भी चक्कर लगाने पड़े, लेकिन अब वह उनके शासनकाल में बिना किसी चिंता के मंदिर का कार्य शुरू कर पाए हैं। यह बदलते भारत की तस्वीर हैं कि हम विकास भी, विरासत भी के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक तरफ हम मंदिर बना रहे, उनका जीर्णोद्धार कर रहे है तो दूसरी तरफ देश में मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। ये परिवर्तन प्रमाण हैं। समय का चक्र घूम चुका हैं। एक नया दौर आकर हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा हैं। आज समय हैं उस परिवर्तन का दिल खोलकर आगमन करें। उन्होंने कहा क रामंदिर निर्माण, काशी, उज्जैन महाकाल, केदारनाथ और सोमनाथ के पुनर्निर्माण के साथ विदेशों में भी मंदिर निर्माण अब कल्पना से हकीकत बन चुका हैं।