(जय कृष्ण)
लखनऊ, सात अक्टूबर (भाषा) विजयादशमी के मौके पर भले देशभर में रावण का वध किया जाएगा, लेकिन राजधानी के चार धाम मंदिर के ‘रावण दरबार में रावण की पूजा की जाएगी और यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि इसका उद्देश्य रावण की विद्वता से सबक लेने और बुराइयों से लोगों को दूर रखना है।
इस वर्ष दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को है।
चौक के पुराने शहर इलाके में रानी कटरा में स्थित चार धाम मंदिर में रावण दरबार स्थापित है, जहां रावण की पूजा की जाती है।
मंदिर के पुजारी सियाराम अवस्थी ने ‘पीटीआई—वीडियो’ से बातचीत में कहा कि 135 साल पहले बने मंदिर में रावण का दरबार स्थापित है।
पुजारी ने कहा, ‘चार धाम मंदिर का निर्माण कुंदन लाल कुंज बिहारी लाल ने कराया था और अब उनकी छठी पीढ़ी इसका प्रबंधन कर रही है। इस मंदिर में चारों धाम हैं और यह छोटी काशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। हमारे यहां रावण दरबार भी है।’
रावण दरबार के पीछे के तर्क के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यहां आने वाले लोग इस दरबार में भी जाते हैं, जहां विजयदशमी पर रावण की पूजा भी की जाती है।
अवस्थी ने कहा, ‘यह लोगों को यह एहसास कराने के लिए भी है कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा और वे अपने जीवन में किस तरह के कर्म करना चाहते हैं जो उन्हें नर्क या स्वर्ग की ओर ले जा सकते हैं।’
मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि शहर के गरीब लोग चाहकर भी पैसे की कमी के कारण चारों धामों की यात्रा नहीं कर पाते थे।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मंदिर बनाया गया। यहां रावण का पूरा दरबार मौजूद है। दरबार में दोनों तरफ रावण के मंत्री बैठे नजर आते हैं, जबकि रावण सबसे ऊपर बैठा है।’
इस मंदिर में रामेश्वरम है, राम सेतु है और यहां लंका भी बनाई गई है। रावण के दरबार तक पहुंचने का रास्ता, जहां रावण बैठा है, राम सेतु से होकर ही आता है। दरबार में रावण के पास कुंभकरण लेटा है और उसके बगल में मेघनाथ बैठा है और विभीषण वहां खड़े हैं।
इस मंदिर में रावण ने शनिदेव को अपने दरबार में कैद कर रखा है, जबकि दूसरी मूर्ति स्थापित है जिसमें मंदोदरी रावण से विनती कर रही है। सामने भगवान श्री राम धनुष-बाण लेकर खड़े हैं और उनकी सेना भी वहां मौजूद है।
विजयादशमी पर भगवान राम द्वारा रावण का वध हिंदू त्योहार दशहरा का एक केंद्रीय हिस्सा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है।
मंदिर की नियमित आगंतुक वंदना पांडेय ने कहा कि रावण एक महान विद्वान था और उसके कुकर्मों के कारण ही उसके साथ ऐसी घटना घटी।
उन्होंने कहा कि ‘भगवान राम ने अपने भाई से जब रावण मत्यु की कगार पर था, कुछ ज्ञान लेने के लिए कहा था। उसकी पूजा करने का मतलब है उसकी बुद्धि के लिए प्रार्थना करना और बुरे कर्मों से दूर रहना।’
भाषा जेके अभिनव आनन्द रंजन
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