उत्तर प्रदेश: संभल जाने से रोके गये राहुल, दिल्ली लौटे

उत्तर प्रदेश: संभल जाने से रोके गये राहुल, दिल्ली लौटे

  •  
  • Publish Date - December 4, 2024 / 04:38 PM IST,
    Updated On - December 4, 2024 / 04:38 PM IST

गाजियाबाद, चार दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के पीड़ितों से बुधवार को मिलने के लिए जा रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हिंसा प्रभावित जिले में निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देते हुए दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर रोक लिया गया।

राहुल ने पुलिस की इस कार्रवाई को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अपने विशेषाधिकारों का हनन करार दिया।

पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच लंबी बहस के बाद भी बात नहीं बनने पर राहुल करीब दो घंटे बाद दिल्ली लौट गये।

राहुल ने आरोप लगाया कि भाजपा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पुलिस को आगे कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि वह (भाजपा) सच्चाई और भाईचारे के संदेश को क्यों दबा रही है?

राहुल के काफिले को रोके जाने से मार्ग के दोनों तरफ काफी लम्बा जाम लग गया और राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

राहुल ने दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर पुलिस द्वारा रोके जाने पर संवाददाताओं से कहा, “हम संभल जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुलिस मना कर रही है। लोकसभा में नेता विपक्ष के नाते मेरा अधिकार बनता है कि मैं जा सकता हूं लेकिन तब भी वह मुझे रोक रहे हैं। यह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के मेरे अधिकार के खिलाफ है।”

उन्होंने कहा, “मैंने कहा है कि मैं अकेला जाने को तैयार हूं, पुलिस के साथ जाने को तैयार हूं लेकिन उन्होंने वह भी बात नहीं मानी और अब कह रहे हैं कि कुछ दिन बाद वह हमें जाने देंगे।”

राहुल ने संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा, “यह (संभल जाने से रोका जाना) लोकतंत्र के खिलाफ है। हम संभल जाकर देखना चाहते हैं कि वहां क्या हुआ। हम लोगों से मिलना चाहते हैं लेकिन मेरा जो संवैधानिक अधिकार है, मुझे उससे वंचित किया जा रहा है। यह संविधान को खत्म करने वाला हिंदुस्तान है। अंबेडकर जी के संविधान को खत्म करने वाला हिंदुस्तान है। लेकिन हम लड़ते रहेंगे।”

राहुल ने ‘एक्स’ पर कहा, “पुलिस ने हमें संभल जाने से रोक दिया। विपक्ष का नेता होने के नाते यह मेरा अधिकार और कर्तव्य है कि मैं वहां जाऊं। फिर भी मुझे रोका गया। मैं अकेला जाने को भी तैयार हूं लेकिन वे इसके लिए भी नहीं माने। यह संविधान के खिलाफ है।”

उन्होंने कहा, “भाजपा क्यों डरी हुई है। अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पुलिस को आगे क्यों कर रही है? सच्चाई और भाईचारे के संदेश को क्यों दबा रही है?”

राहुल के साथ मौके पर मौजूद उनकी बहन और सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी राहुल को रोके जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए संवाददाताओं से कहा, “संभल में जो हुआ, वह गलत है। राहुल नेता प्रतिपक्ष हैं। उनके संवैधानिक विशेषाधिकार हैं, जो बाकी लोगों से अलग हैं। उनको रोका नहीं जा सकता।”

उन्होंने कहा, “ राहुल जी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में संवैधानिक अधिकार मिले हैं। उन्हें पीड़ितों से मिलने जाने दिया जाए।” वहीं गाजियाबाद के पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि संभल में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 (निषेधाज्ञा) 31 दिसंबर तक लागू रहेगी।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही संभल में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक शनिवार को खत्म हो रही थी, जिसे जिलाधिकारी ने बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दिया।

इससे पहले कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने लखनऊ में संवाददाताओं को बताया कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, “मैं नजरबंद हूं। यह सरकार की गुंडागर्दी और अराजकता है। पुलिस हमें बीएनएसएस 163 लागू होने का हवाला देकर रोक रही है। यह संभल में लागू है, तो मुझे लखनऊ में नजरबंद क्यों किया गया है। पार्टी के नेता तो सिर्फ पीड़ित परिवारों से मिलना चाहते हैं।”

राहुल गांधी के संभल दौरे को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ‘मुस्लिम वोट बैंक’ की राजनीति करार देते हुए लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों ही ‘नौटंकी’ कर रहे हैं।

मौर्य ने कहा, “अखिलेश और राहुल दोनों ही मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। वे नौटंकी कर रहे हैं। सपा और कांग्रेस का पतन निश्चित है। सपा ‘समाप्तवादी पार्टी’ बन जाएगी और कांग्रेस मुक्त भारत होगा।”

मौर्य ने आरोप लगाया, “ये दोनों ही पार्टियां माहौल खराब करना चाहती हैं। संभल में हुई हिंसा सपा विधायक और सांसद की रंजिश का नतीजा है।”

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच की जा रही है और विपक्ष को संभल में शांति बनाए रखने में सरकार का साथ देना चाहिए।

उन्होंने तंज करते हुए कहा, “वह (विपक्ष) शांति बहाल होने के बाद वहां जाएं और वलीमा करें।”

संभल की एक अदालत ने 19 नवंबर को शहर के कोट पूर्वी मोहल्ले में स्थित मुगलकालीन जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था और उसी दिन एक टीम ने वहां का सर्वेक्षण किया था, जिसके बाद से विवाद पैदा हो गया था।

भाषा सलीम नरेश जितेंद्र

जितेंद्र