Krishna Janmabhoomi Case Latest Update: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्षकारों की याचिका खारिज

Krishna Janmabhoomi Case Latest Update: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्षकारों की याचिका खारिज

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  • Publish Date - August 1, 2024 / 02:52 PM IST,
    Updated On - August 1, 2024 / 02:54 PM IST

मथुरा: Krishna Janmabhoomi Case Latest Update hindi श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार की याचिका खारीज कर दी है। अब मामले में हिंदू पक्ष की ओर से दायर की गई 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें नकार दिया।

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Krishna Janmabhoomi Case Latest Update hindi वहीं दूसरी ओर हिंदू पक्षकारों की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को अपना बताते हुए पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग करते हुए 178 याचिकाएं दायर की थी। अब इन याचिकाओं पर हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा।

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हिंदू पक्षकारों ने क्या दी थीं दलीलें?

  • 1. ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का एरिया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह हैं।
  • 2. मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
  • 3. सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू ही नहीं होता है।
  • 4. मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है।
  • 5. जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
  • 6. बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।
  • 7. भवन पुरातत्व विभाग से भी संरक्षित घोषित है, इसलिए भी इसमें उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता।
  • 8. एएसआई ने इसे नजूल भूमि माना है, इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते।

मुस्लिम पक्षकारों की याचिका खारिज

  • 1. मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य ही नहीं है।
  • 2. उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
  • 3. 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती।
  • 4. लिमिटेशन एक्ट और वक्फ अधिनियम के तहत भी इस मामले को देखा जाए।
  • 5. इस विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में हो. यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला है ही नहीं।

 

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