Allahabad HC on Rape case: ‘विश्वास करने लायक नहीं है आपके आरोप’ रेप पीड़िता की याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने आरोपी को दे दी जमानत

Allahabad HC on Rape case: 'विश्वास करने लायक नहीं है आपके आरोप' रेप पीड़िता की याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने आरोपी को दे दी जमानत

  •  
  • Publish Date - July 27, 2024 / 11:53 AM IST,
    Updated On - July 27, 2024 / 01:15 PM IST

प्रयागराज:  Allahabad HC on Rape case इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक आरोपी को चिकित्सा न्यायशास्त्र के आधार पर जमानत दे दी है। अपीलकर्ता पर आरोप है कि उसने पीड़िता के रुमाल को क्लोरोफॉर्म में भिगोकर उसे अचेत कर दिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। अदालत ने चिकित्सा न्यायशास्त्र को आधार बनाते हुए कहा कि एक अनुभवहीन व्यक्ति के लिए बिना बाधा के एक सोते हुए व्यक्ति को बेहोश करना संभव नहीं है।

Read More: Dog Meat News Bangalore in Hindi: रेलवे स्टेशन पर 150 डिब्बों में भरकर आया कुत्ते का मांस? मची अफरातफरी तो मालिक बोला- कानूनी दस्तावेज हैं मेरे पास

Allahabad HC on Rape case उच्च न्यायालय ने कहा कि समाचार पत्रों में अक्सर यह रिपोर्ट छपती है कि एक महिला को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर बेहोश करने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया, जोकि विश्वास करने लायक नहीं है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने चिकित्सा न्यायशास्त्र एवं विष विज्ञान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि “एक महिला जब होश में हो तो उसकी इच्छा के बगैर उसे चेतनाशून्य करना असंभव है।”

Read More: Rahul Dravid Message for Gautam Gambhir: श्रीलंका के खिलाफ पहले मैच से ठीक पहले राहुल द्रविड़ ने गौतम गंभीर को दिया खास संदेश, कहा- …एक कदम पीछे हटें

याचिकाकर्ता रवीन्द्र सिंह राठौर पर आरोप है कि उसने 2022 में एक फर्जी शादी करने के बाद शिकायतकर्ता महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाए। राठौर ने कथित तौर पर यह तथ्य छिपाया कि पहली पत्नी से उसके दो बच्चे हैं। शिकायतकर्ता महिला का दावा है कि राठौर ने क्लोरोफॉर्म का उपयोग कर उसे बेहोश किया, दुष्कर्म किया और इसका वीडियो बनाने के बाद इसे वायरल करने की धमकी दी।

Read More: Mahila Teacher ka Video Viral: क्लास में चटाई बिछाकर ऐसा काम कर रही थी महिला टीचर, छोटी बच्चियां झेलती रहीं पीड़ा, वीडियो देखकर आप भी रह जाएंगे दंग 

अदालत ने सतेन्दर कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए “जब तक दोषी साबित ना हो जाए, तब तक निर्दोष रहने का अनुमान लगाना” के सिद्धांत पर जोर दिया। अदालत ने बृहस्पतिवार को आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि जब तक तर्कसम्मत संदेह से परे दोष साबित नहीं हो जाता, महज आरोप के आधार पर एक व्यक्ति के जीवन जीने और आजादी के अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 21) को छीना नहीं जा सकता।

Read More: Niti Aayog Meeting Update: नीति आयोग की बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकली ममता बनर्जी, लगाए ये गंभीर आरोप, बोली- मैं वहां अकेली…

 

 

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

खबरों के तुरंत अपडेट के लिए IBC24 के Facebook पेज को करें फॉलो