लखनऊ, 18 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानभवन के घेराव की कोशिश की लेकिन पुलिस ने रास्ते में ही रोककर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे समेत कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने दावा किया कि यह मौत ‘पुलिस की बर्बरता’ के कारण हुई। वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रभात पांडे (28) को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था और उसके शरीर पर कोई चोट के निशान भी नहीं थे।
कांग्रेस के विधान भवन के घेराव को विफल करने के लिए राजधानी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विधान भवन की तरफ बढ़ने की कोशिश की मगर पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया और पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया।
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद राय ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम 2027 में योगी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे।’ राय ने दावा किया, ‘वे मुझे और अन्य कांग्रेस नेताओं को मारना चाहते हैं। वे हमारे नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से डरते हैं।’
विपक्षी दल के कार्यकर्ता किसानों के संकट, बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के तहत विधान भवन का घेराव करने जा रहे थे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विधान भवन तक पहुंचने से रोकने के लिए परिसर के चारों ओर बैरिकेड लगाए गए थे, जबकि जगह-जगह मार्ग परिवर्तन की वजह से शहर में यातायात की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित रही।
लखनऊ में लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 (उपद्रव या आशंका वाले खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति) के तहत प्रतिबंधों का हवाला देते हुए पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के मॉल एवेन्यू कार्यालय से आगे नहीं बढ़ने दिया। कार्यालय से बाहर निकले कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़कर विधान भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन वहां बड़े पैमाने पर तैनात पुलिस बल ने उनकी कोशिश को नाकाम कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राय ने बैरिकेड लांघने की भी कोशिश की और कुछ देर के लिए सड़क पर बेहोश हो गए। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें होश में लाने में मदद की। इसी बीच, गोरखपुर के मूल निवासी पार्टी कार्यकर्ता प्रभात पांडे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी।
पुलिस उपायुक्त (मध्य क्षेत्र) रवीना त्यागी ने बताया, ‘प्रभात पांडे को कांग्रेस कार्यालय से बेहोशी की हालत में हजरतगंज के सिविल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।’
त्यागी ने बताया, ‘डॉक्टरों के अनुसार प्रथम दृष्टया उनके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे। इसके अलावा डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। इसके अनुसार आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी।’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यह घटना बेहद दुखद और निंदनीय है। हमारा कांग्रेस परिवार इस घटना से आहत और गुस्से में है। हम इस घटना को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।’
राय ने कहा, ‘प्रदेश सरकार को मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को मुआवजे के तौर पर सरकारी नौकरी देनी चाहिए।’
इससे पहले, राय और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पहले पार्टी कार्यालय के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
राय ने संभल हिंसा को लेकर भाजपा नीत सरकार की आलोचना की। वहीं, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि किसानों, बेरोजगार युवाओं, महंगाई और राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
उनहोंने कहा, ‘‘भाजपा अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए धार्मिक और जाति आधारित विभाजन पैदा करना चाहती है। इन बाधाओं के बावजूद हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’
कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की नेता आराधना मिश्रा मोना ने राज्य विधानसभा में इस मामले को उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है और लोगों की आवाज दबा रही है।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रही है, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने जवाब दिया ‘‘आपके पास (सीएलपी नेता होने के नाते) बहुत सारे विशेषाधिकार हैं, लेकिन आपको विधानसभा (विधानसभा की कार्यवाही) को हाईजैक करने का विशेषाधिकार नहीं है। आप जहां चाहें जाने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं देखूंगा कि आपको कौन रोकता है।’’
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा, ‘आज विरोध किस लिए है? यह अनावश्यक रूप से अराजकता फैला रहा है।’
विपक्ष के नेता और समाजवादी पार्टी के विधायक माता प्रसाद पांडे ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने वाली रणनीति अपना रही है।
पिछले महीने संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के प्रस्तावित दौरे का जिक्र करते हुए पांडे ने सवाल किया, ‘‘जब हम संभल जाना चाहते थे, तो हमें वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई।’’
भाषा जफर सलीम आशीष
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