(अरुणव सिन्हा)
लखनऊ, 11 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा उम्मीदवार अनुजेश प्रताप सिंह ने दावा किया है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के शीर्ष यादव नेता कोई जोखिम नहीं उठा रहे और अपने गढ़ में भी घर-घर जाकर वोट मांग रहे, क्योंकि वहां लोग उनका (सिंह) समर्थन कर रहे हैं।
‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में सिंह ने कहा, ‘मेरे भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से सपा नेता इतने बेचैन हैं कि वे उन पार्टी कार्यकर्ताओं को भी अपने पाले में कर रहे हैं, जिन्हें वे पहले हल्के में लेते थे। इसलिए, एक तरह से सभी सपा कार्यकर्ताओं को मेरी वजह से अब अपने नेताओं से सम्मान मिल रहा है।’
सिंह सपा प्रमुख अखिलेश यादव के रिश्तेदार हैं। सपा ने उनके खिलाफ अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है।
वर्ष 2017 में सपा से भाजपा में शामिल होने वाले सिंह की शादी संध्या यादव से हुई है, जो आजमगढ़ से सपा सांसद और अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव की बहन हैं।
उन्होंने कहा, ‘प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है और इस बार करहल में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) जरूर खिलेगा।’
सिंह ने कहा, ‘मुझे इसलिए ऐसा लग रहा है, क्योंकि समाज के सभी वर्ग के लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं। बड़ी संख्या में यादव मतदाता भी मेरे साथ हैं।’
भाजपा उम्मीदवार ने दावा किया कि करहल में चुनावी लड़ाई में ‘इंडिया’ गठबंधन की मौजूदगी महसूस नहीं की जा सकती है।
उन्होंने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी और सहयोगी दल रालोद राज्य की सभी नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करेगा।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा।
सपा द्वारा पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए गढ़े गए पीडीए शब्द पर सिंह ने कहा, ‘क्या उन्होंने किसी अन्य यादव को टिकट दिया है? यह एक परिवारवादी पार्टी है। उनके पीडीए का मतलब (उनके) परिवार का विकास है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें समाज के सभी वर्गों से समर्थन मिल रहा है। हमें पीडीए का समर्थन मिल रहा है। सपा का पीडीए उनका परिवार है, हमारा पीडीए समाज है।’
सिंह ने भरोसा जताया कि उन्हें यादव मतदाताओं का भी वोट मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ‘पीडीए’ शब्द की नयी परिभाषा देते हुए इसे ‘दंगाइयों और अपराधियों का प्रोडक्शन हाउस’ बताया था।
उन्होंने यह भी कहा था कि इस प्रोडक्शन हाउस के ‘सीईओ’ अखिलेश यादव और ‘प्रशिक्षक’ शिवपाल यादव हैं।
सपा में वापसी की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं, दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। मैं भाजपा के साथ हूं। जब से मैं भाजपा में शामिल हुआ हूं, तब से मैं पूरी निष्ठा से पार्टी के हर कार्यक्रम में हिस्सा लेता रहा हूं या उसका आयोजन करता रहा हूं।’
सिंह ने कहा कि हालांकि वह यादव परिवार के करीबी हैं, लेकिन ‘कोई भी उन पर कोई आरोप नहीं लगा सकता।’
करहल उपचुनाव में सात उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। यह सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थी।
इटावा जिले में स्थित करहल अखिलेश के पैतृक गांव सैफई से महज चार किलोमीटर दूर है। यह निर्वाचन क्षेत्र उनकी पत्नी डिंपल यादव की मैनपुरी लोकसभा सीट का हिस्सा है।
करहल सीट 1993 से सपा का गढ़ रही है। 2002 के विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के सोबरन सिंह यादव के खाते में गई थी, लेकिन बाद में वह सपा में शामिल हो गए।
उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज), कुंदरकी (मुरादाबाद) और गाजियाबाद शामिल हैं।
इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुईं। सीसामऊ उपचुनाव सपा विधायक इरफान सोलंकी को अयोग्य ठहराए जाने के कारण हो रहा है, जिन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट पर सपा ने कब्जा जमाया था, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर में जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में गई थी, जो अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा की सहयोगी है।
कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है। उसने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) की सहयोगी सपा को समर्थन देने की घोषणा की है।
भाषा
अरुणव जफर मनीषा पारुल
पारुल