उत्तर प्रदेश: खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सरकार के प्रस्तावित कानून का विपक्ष ने किया स्वागत

उत्तर प्रदेश: खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सरकार के प्रस्तावित कानून का विपक्ष ने किया स्वागत

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  • Publish Date - October 16, 2024 / 08:33 PM IST,
    Updated On - October 16, 2024 / 08:33 PM IST

लखनऊ, 16 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश में खाद्य सामग्री में मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए एक कठोर कानून पेश करने की सरकार की योजना का बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को छोड़कर सभी भाजपा विरोधी दलों ने स्वागत किया है। बसपा ने इसे “विभाजनकारी” करार दिया है।

बसपा के उत्तर प्रदेश प्रमुख विश्वनाथ पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘ये लोग जनता को बांटना चाहते हैं। हम भाईचारे के पक्षधर हैं, लेकिन वे इसे नष्ट करना चाहते हैं। कोई भी ये सब (खाद्य पदार्थों में मिलावट) नहीं करता।’

दिलचस्प बात यह है कि बसपा ने जहां प्रस्तावित कानून का विरोध किया है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस इस निर्णय का समर्थन करती दिखीं, हालांकि उन्होंने यह शर्त भी रखी कि इस कदम का ‘दुरुपयोग’ नहीं किया जाना चाहिए। सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा है कि यह कानून वे वीडियो सामने आने के बाद बनाया जा रहा है, जिनमें लोग खाद्य पदार्थों पर थूकते हुए दिखाई दे रहे हैं और कुछ मामलों में तो खाद्य पदार्थों में मूत्र मिलाने का आरोप भी लगा है।

सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने कहा, ‘यह कदम अच्छा है, मुझे इसमें कोई समस्या नहीं दिखती, बशर्ते इसका दुरुपयोग न हो।’

कांग्रेस नेता ने सहारनपुर में पत्रकारों से कहा, ‘वास्तव में, आज ही मैंने एक अखबार में पढ़ा कि एक घरेलू सहायिका ने अपने कार्यस्थल पर खाने में मूत्र मिला दिया था। इसलिए केवल बीमार मानसिकता वाले लोग ही ऐसे काम करते हैं और यह अच्छी बात है कि उन्हें रोकने के लिए एक कानून बनाने पर विचार किया जा रहा है।’

संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं, लेकिन वे इस मामले में कांग्रेस के रुख से सहमत नजर आए।

उन्होंने कहा, ‘यह कोई धार्मिक मामला नहीं है। सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने और लोगों का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं और विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से हटाने के लिए इस तरह का प्रचार करती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों का बचाव किया जाए। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’

उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘खाद्य पदार्थों में मिलावट की ऐसी घटनाओं’ को महज राजनीतिक लाभ के लिए उजागर नहीं किया जाएगा।

मंगलवार को योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन विक्रेताओं के खिलाफ एक नया कानून लाने की योजना का खुलासा किया था जो ‘अपनी पहचान छिपाकर’ खाद्य पदार्थों व पेय पदार्थों में मानव अपशिष्ट या गैर-खाद्य सामग्री मिलाते हैं। प्रस्तावित अध्यादेश के लागू होने के बाद ऐसा करना संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बन जाएगा।

इसके बाद, खाद्य विक्रेताओं को भोजनालयों और दुकानों के बाहर अपने नाम के साथ ‘साइनबोर्ड’ लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा।

दो महीने पहले उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों में मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के प्रशासनिक निर्देश पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

भाजपा सरकार के उस आदेश की सपा और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने आलोचना की थी।

भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के उत्तर प्रदेश प्रमुख रामाशीष राय ने कहा कि इस कदम में कुछ भी ‘नया’ नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘इसमें कुछ भी नया नहीं है क्योंकि खान-पान की किसी भी दुकान के मालिकों का विवरण प्रदर्शित करने का प्रावधान पहले से ही मौजूद है।’

राय ने कहा कि इस कदम को ‘धर्म’ से अलग करके देखा जाना चाहिए।

भाजपा ने यह भी कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा है। पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या सभी को प्रभावित करती है।

भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, ‘यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह स्वास्थ्य, सुरक्षा व स्वच्छता का मुद्दा है। हर किसी ने जूस में पेशाब मिलाने, रोटी में थूक मिलाने या खाने की चीजों में दूसरी अशुद्ध चीजें मिलाने के वीडियो देखे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया कि ऐसी हरकतों पर लगाम लगाई जाए।’

शुक्ला ने कहा, ‘जब यह कदम उठाया जाएगा, तो उन जगहों पर सीसीटीवी लगाने होंगे जहां खाने की चीजें रखी जाती हैं। और कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छिपाकर ऐसे खाने की दुकानों या रेस्तरां में काम नहीं कर पाएगा।’

इस बीच, नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के उत्तर प्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष वरुण खेड़ा ने भी इस कदम का स्वागत किया।

खेड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस कदम से कोई समस्या है। हम सभी मानदंडों और दिशानिर्देशों का पालन करते हैं और भोजन बेचने के लिए कई प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं।’

उन्होंने रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों को विनियमित करने और उन्हें खाद्य स्वच्छता के बारे में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

भाषा किशोर जफर

जोहेब

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