लखनऊ, 26 नवम्बर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि समय के अनुरूप अपराध की प्रकृति बदली है और इसी साल लागू भारतीय न्याय संहिता समेत तीन नये कानून आपराधिक संहिताएं नहीं, बल्कि न्याय और नागरिक सुरक्षा की संहिताएं हैं।
मुख्यमंत्री यहां उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में नवनिर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन करने के बाद ’नवीन आपराधिक कानूनों के अंतर्गत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान एवं साइबर सुरक्षा की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संस्थान के वेब पोर्टल तथा ‘ई-लाइब्रेरी’ का उद्घाटन, संस्थान के ध्वज का लोकार्पण तथा संस्थान की पत्रिका ‘अभ्युदय’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, ‘समय के अनुरूप अपराध की प्रकृति बदली है। जिस समय भारत में कानून बने थे, उस समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियां अलग थीं। उस समय देश परतंत्र (गुलाम) था। जब देश स्वतंत्र हुआ, तो समय के अनुरूप हम अपने आपराधिक, सिविल व अन्य कानून नहीं बना पाए थे।’
उन्होंने कहा कि भारत ने एक जुलाई 2024 से तीन नए कानून लागू किए हैं जिनमें भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 शामिल हैं और यह आपराधिक संहिताएं नहीं है, बल्कि न्याय और नागरिक सुरक्षा की संहिताएं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अब हम किसी को भी अपराधी कहने से पूर्व, उसे कठघरे में खड़ा करने लायक साक्ष्य एकत्र करेंगे। यह व्यवस्था की गई है कि सात वर्ष से ज्यादा सज़ा के किसी भी आपराधिक मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य आवश्यक हो। इसके लिए इस प्रकार के संस्थान तथा उच्च स्तरीय प्रयोगशालाओं का होना आवश्यक है।’
आदित्यनाथ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे बड़ा सिविल पुलिस बल है। एक समय प्रदेश पुलिस में आधे से अधिक पद खाली थे। हमें पुलिस भर्ती प्रक्रिया को भी पारदर्शी तरीके से संपन्न करना था।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब सरकार ने कार्य प्रारम्भ किये, तो ‘जहां चाह वहां राह’ के अनुरूप स्वयं ही रास्ते बनते गए। हमने एक लाख 54 हजार से अधिक पुलिस कार्मिकों की भर्ती पारदर्शी तरीके से संपन्न की। हाल ही में 60,200 पुलिस कर्मियों की नई भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न हुई है। इसके परिणाम घोषित हो चुके हैं।’
उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में मात्र चार स्थानों पर फॉरेंसिक प्रयोगशाला थी, लेकिन आज प्रदेश में सभी जोन स्तर पर एक अच्छी प्रयोगशाला बनकर तैयार हो चुकी है।
आदित्यनाथ ने कहा, “ हम इसे सभी 18 रेंज में ले जा रहे हैं। पहले केवल गौतमबुद्धनगर तथा लखनऊ में ही साइबर थाने थे। हमने पहले चरण में 18 रेंज तथा इसके बाद सभी 75 जनपदों में साइबर थानों की स्थापना की कार्यवाही की है। प्रदेश के सभी 1,775 थानों में एक-एक साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है।’
भाषा सलीम नोमान
नोमान