(आनन्द राय)
लखनऊ, छह जुलाई (भाषा) ब्रिटेन के आम चुनाव में लेबर पार्टी के उम्मीदवार नवेन्दु मिश्रा की शानदार जीत के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर और गोरखपुर में जश्न का माहौल है।
स्टॉकपोर्ट सीट से दूसरी बार सांसद बने मिश्रा (35) का जन्म 1989 में कानपुर में हुआ था। उनका ननिहाल गोरखपुर में है।
अब लखनऊ में रह रहे मिश्रा के मामा और समाजसेवी व कारोबारी नीलेन्द्र पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर में कुछ लोगों ने मिठाइयां बांटकर और पटाखे फोड़ कर उनकी जीत का जश्न मनाया।
पांडेय ने बताया कि मिश्रा चार साल की उम्र में ही ब्रिटेन चले गये थे। उनके पिता इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड में विपणन प्रबंधक थे और ब्रिटेन की एक कंपनी का कार्यभार संभालने के बाद वह ब्रिटेन चले गए।
मिश्रा अपने भाई और बहन के साथ ब्रिटेन में ही पले-बढ़े हैं।
लंदन में पढ़ाई पूरी करने के बाद मिश्रा राजनीति में आए और 2019 के चुनाव में वह स्टॉकपोर्ट सीट से ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ के लिए चुने गये थे।
पांडेय ने बताया कि मिश्रा स्टॉकपोर्ट में मजदूर संघ आंदोलन के जरिये राजनीति में आए।
पांडेय ने बताया कि अपने भांजे से उनका बहुत गहरा लगाव है और मिश्रा ने चुनाव जीतने के बाद फोन कर उनका आशीर्वाद लिया।
उन्होंने कहा, ”नवेन्दु को भारत आना और यहां रहना बहुत अच्छा लगता है। हमेशा उसकी यही इच्छा रहती है कि वह अपने देश के लिए कुछ कर सके।” उन्होंने बताया कि मिश्रा साल-दो साल में एक बार भारत आते हैं।
पांडेय ने अपने भांजे की तारीफ करते हुए कहा, ”आप उसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि ब्रिटेन में ज्यादातर सांसद हजार-दो हजार मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं, लेकिन नवेन्दु ने करीब 16 हजार मतों के अंतर से चुनाव जीता है।”
मिश्रा को कुल 21,787 वोट मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रिफॉर्म यूके उम्मीदवार लिन शॉफिल्ड को 6,517 मत मिले।
मिश्रा ब्रिटेन जाने के करीब छह-सात साल बाद, पहली बार भारत लौटे थे और गोरखपुर में अपने ननिहाल के बच्चों संग पतंग उड़ाते और गली में क्रिकेट खेला करते थे।
हाल में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मिश्रा भारत आये थे और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से मुलकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की थी।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने दावा किया कि मिश्रा की जीत और भारत के साथ उनके जुड़ाव से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंध मजबूत होंगे। पांडेये ने कहा कि मिश्रा ने अयोध्या में राम मंदिर जाने की भी योजना बनाई थी।
गोरखपुर में पांडेय के सहयोगी रहे ईश्वर सिंह ने दावा किया, ”मिश्रा को राजनीति में जाने और समाज सेवा की प्रेरणा अपने मामा नीलेन्द्र पांडेय से ही मिली थी।”
कानपुर के आर्य नगर में मिश्रा के पैतृक घर पर भी स्थानीय लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो उनके लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने पर परिवार को बधाई देने के लिए एकत्र हुए थे। मिश्रा करीब दो साल पहले आर्य नगर स्थित अपने घर आए थे।
पांडेय ने कहा, ‘‘हमने मिश्रा को शीघ्र यहां आने के लिए आमंत्रित किया है और उनके आगमन के बाद लखनऊ में स्वागत समारोह आयोजित किया जाएगा।’’
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आनन्द सिम्मी सुभाष
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