Indradev Maharaj Katha: 'अरे जाकर ब्लाउज खोलकर देख ले, ये सीता...' रामलीला के पात्रों पर कथावाचक ने की शर्मनाक टिप्पणी |Indradev Maharaj Katha

Indradev Maharaj Katha: ‘अरे जाकर ब्लाउज खोलकर देख ले, ये सीता…’ रामलीला के पात्रों पर कथावाचक ने की शर्मनाक टिप्पणी

Indradev Maharaj Katha: 'अरे जाकर ब्लाउज खोलकर देख ले, ये सीता...' रामलीला के पात्रों पर कथावाचक ने की शर्मनाक टिप्पणी

Edited By :   Modified Date:  July 27, 2024 / 02:10 PM IST, Published Date : July 27, 2024/2:10 pm IST

मथुरा। देशभर में कई ऐसे कथावाचक हैं जो अपने प्रवचन से लोगों के दिलों में खास जगह बना लेतों हैं। दूर-दूर से लोग इन कथावाचकों की कथा सुनने पहुंचते हैं। लेकिन, इन दिनों कुछ कथावाचकों द्वारा कुछ ऐसी टिप्पणी की जा रही है, जिसके चलते लोगों का गुस्सा फुट पड़ रहा है। ऐसे में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के राधा रानी को लेकर दिए बयान का गुस्सा शांत ही हुआ था कि अब एक और भागवत प्रवक्ता पर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा है, जिन्होंने रामलीला के किरदारों पर अभद्र टिप्पणी कर दी है। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं…

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रामलीला के पात्रों पर की शर्मनाक टिप्पणी

उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृंदावन में भागवत प्रवक्ता इंद्रदेव महाराज ने व्यास गद्दी पर बैठकर रामलीला मंचन में माता सीता व अन्य किरदार निभाने वाले कलाकारों को लेकर बेहद शर्मनाक टिप्पणी की है, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। इस टिप्पणी पर लोगों में आक्रोश फैल गया। विरोध के बाद कथावाचक ने खुद के द्वारा की अमर्यादित टिप्पणी पर खेद जताते हुए बयान को मात्र हास्य व्यंग्य बता दिया, जिसके बाद लोगों में और आक्रोश भड़क उठा ।

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सीता के किरदार पर कही ये बात

परिक्रमा मार्ग में श्री राधा किशोरी धाम आश्रम के महंत महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव महाराज के वायरल हो रहे वीडियो को लेकर बताया गया कि कुछ साल पहले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के वक्त व्यास गद्दी से रामलीला के पात्रों पर टिप्पणी की थी, जिसकी वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इंद्रदेव महाराज  ने कहा था कि रामलीला में जो राम बनता वो ज्यादातर देसी दारू पीता। जो सीता बनता (साड़ी पहनकर) वो बीड़ी पीता। टेंट के पीछे धुआं चल रहा होता। जो रावण-कुंभकरण बनता वो टेंट के पीछे पत्ता खेलता। जैसे ही मंच पर वेशभूषा में आते गांव के लोग आरती और रुपया लेकर पांव छूने को लड़ पड़ते। सबेरे हमारे यहां न्यौता है। सीता का व्याह है, कन्यादान हमारी तरफ से हो। मैंने कहा- अरे जाकर ब्लाउज खोलकर देख ले, ये सीता नहीं है, पूरा कुंभकरण है। वो तो भला हो कि टाइट ब्लाउज है, वरना…।

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कथावाचक ने दी सफाई

इंद्रदेव महाराज का कहना है कि उनके द्वारा व्यास पीठ से जो बयान दिया गया उसे कुछ लोगों ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। उनका कहने का आशय था कि जिस तरह से रामलीला के दौरान कुछ पात्र पर्दे के पीछे इस तरह की हरकत करते हैं और मंच पर लोग उनकी पूजा करते हैं। जब लोगों को यह हकीकत पता चलती है तो उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है। उन्होंने ऐसे छद्म वेश धारियों से सावधान रहने के लिए भक्तों को आगाह किया था. न कि किसी की आस्था को ठेस पहुंचे, फिर भी यदि किसी को उनकी बात से ठेस पहुंची हो तो वह उसके लिए क्षमा मांगते हैं।

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