मथुरा, (उप्र) 15 दिसंबर (भाषा) सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ ही मथुरा का जोधपुर झाल पक्षी अभयारण्य मध्य एशिया, साइबेरिया, तिब्बत और मंगोलिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय स्थल में बदल गया है।
अधिकारियों ने बताया कि अभयारण्य में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही है, जिसमें दुर्लभ आगंतुक जैसे मैलार्ड डक और कॉमन पोचार्ड के साथ-साथ बार-हेडेड गीज, पेंटेड स्टॉर्क और नॉर्दन शॉवलर्स के समूह शामिल हैं।
‘बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी’ के वन्य जीव पारिस्थितिकीविद डॉ. केपी सिंह ने बताया, ‘मध्य एशिया, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया, साइबेरिया और अन्य क्षेत्रों से आने वाले अधिकांश नियमित प्रवासी पक्षी पहले ही आ चुके हैं।’
उन्होंने कहा कि मनोरम प्राकृतिक सुंदरता और विस्तृत आर्द्रभूमि क्षेत्रों के कारण पिछले एक दशक में पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि अभयारण्य में अब तक पक्षियों की 192 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 70 प्रजातियां नियमित प्रवासी आगंतुक हैं।
उन्होंने बताया कि मैलार्ड डक और कॉमन पोचार्ड जैसी दुर्लभ प्रजातियां भी अभयारण्य के अनुकूल और शांत वातावरण से आकर्षित होकर यहां पहुंचने लगी हैं।
पिछले सप्ताह अभयारण्य का दौरा करने के बाद उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के राज्य उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा ने आर्द्रभूमि क्षेत्र के विकास के लिए 8.66 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की।
इस पहल के पीछे व्यापक लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए, मिश्रा ने कहा, ‘हम 64 हेक्टेयर में अभयारण्य विकसित करने की योजना बना रहे हैं ताकि यह आगरा आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र बन सके और मथुरा के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुल सकें।’
विकास योजना की रूपरेखा बताते हुए, अधिकारियों ने बताया कि टर्मिनल नहर और सिकंदरा राजवाह के बीच चार किलोमीटर की परिधि में फैले प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से जीवंत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस पहल में प्रवासी और स्थलीय दोनों तरह के पक्षियों के लिए अनुकूल आवास बनाना शामिल है।
अधिकारियों ने आगे जैव विविधता पर केंद्रित एक अध्ययन केंद्र, एक सेमिनार हॉल, एक व्याख्या केंद्र और स्थानीय युवाओं के लिए इको-टूरिज्म प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।
भाषा सं आनन्द नोमान
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