लखनऊ: Contract Employees Regularization News Latest Update संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्द अब सिर्फ एक राज्य तक ही सिमित नहीं रह गया है। देश के लगभग सभी राज्यों में नियमितीकरण का मुद्दा गरमाने लगा है। हालांकि हरियाणा, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य की सरकारों ने नियमतीकरण पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी संविदा और डेलीवेज कर्मचारियों के नियमितीकरण का मन बना लिया है और इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
Contract Employees Regularization News Latest Update मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय निदेशालय ने सभी शहरी निकायों से संविदा कर्मचारियों की सूची मांगी है। कहा जा रहा है कि शहरी निकायों से सहमति का प्रस्ताव मिलने के बाद नियमितीकरण के लिए वित्त और कार्मिक विभाग से अनुमति ली जाएगी। वहीं, ये जानकारी सामने आने के बाद ये कहा जा रहा है कि नए साल यानि साल 2025 से पहले ही संविदा कर्मचारियों के नियमिकरण का आदेश जारी हो सकता है।
बता दें कि प्रदेश भर के कर्मचारी और शिक्षक संगठन संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। कर्मचारी और शिक्षक संगठनों की मांग देखते हुए कार्मिक विभाग ने साल 2016 में एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी। इस नीति के मुताबिक दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा या डेलीवेज कर्मचारियों को रिक्तियों के पदों पर विनियमित किया जाना था। कार्मिक विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के साथ प्रस्ताव विचाराधीन कर दिया था। अब शहरी निकायों में काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की तैयारी शुरू हो गई है।
सूत्र बताते हैं कि शहरी निकाय अपने संसाधनों से ही विनियमित होने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह आदि का खर्च वहन करेंगे। इससे सीधे तौर पर सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। लिहाजा, विनियमितीकरण के आदेश में लगा सबसे बड़ा पेच समाप्त हो जाएगा और कर्मचारियों के विनियमित होने के रास्ता साफ हो जाएगा। शहरी निकायों के कर्मचारी लगातार विनियमितीकरण के संबंध में शासन में दबाव बना रहे हैं। बीते दिनों कर्मचारी संगठनों ने शासन को नोटिस भी जारी किया था कि अगर उनकी पुरानी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे और काम बंदी का भी फैसला लिया जा सकता है।
सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों के उसी आक्रोश को देखते हुए रुकी हुई प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है। यह भी तय कर लिया गया है कि शासन पर वित्तीय बोझ न पड़े, इसलिए वित्त विभाग ने कार्मिक विभाग का प्रस्ताव विचाराधीन रखा है। लिहाजा, विनियमित किए जाने वाले इन कर्मचारियों पर आने वाले खर्च का वहन शहरी निकाय खुद करें। इससे वित्त विभाग की बड़ी आपत्तियों में से एक समाप्त भी हो जाएगी और कर्मचारियों का विनियमितीकरण भी हो जाएगा।