मास्को/लखनऊ, एक दिसंबर (भाषा) लखनऊ के कहानीकार हिमांशु बाजपेयी ने रूस की राजधानी मास्को में फिल्म निर्माता राज कपूर और गीतकार शैलेंद्र की दोस्ती का एक किस्सा सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया।
बाजपेयी ने शनिवार को मास्को में स्थित भारतीय दूतावास और रविवार को पेरेडेलकिनो के ‘राइटर्स विलेज में कपूर और शैलेंद्र की दोस्ती की ‘दास्तान’ सुनाई।
बाजपेयी ने रूस से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “यह इस प्रतिष्ठित स्थल (राइटर्स विलेज) में आयोजित पहला भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम था।”
‘बरसात’, ‘श्री 420’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘संगम’, ‘आवारा’ जैसी मशहूर हिंदी फिल्मों के निर्माता अभिनेता राज कपूर के लिए शैलेंद्र ने कई गीत लिखे थे।
बाजपेयी ने बताया कि यह कार्यक्रम राज कपूर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
बाजपेयी ने कहा कि दास्तान की शुरुआत आजादी के बाद के भारत की एक कहानी से होती है जब शैलेंद्र ने राज कपूर की मौजूदगी में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी दमदार कविता ‘जलता है पंजाब’ सुनाई थी।
उन्होंने कहा कि राज कपूर ने शैलेंद्र के काम से प्रभावित होकर उनसे अपनी फिल्मों के लिए लिखने का अनुरोध किया लेकिन शैलेंद्र ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह धन कमाने के लिए नहीं लिखते।
हालांकि वर्ष 1949 में जब शैलेंद्र को वित्तीय मदद की जरूरत थी तब कपूर ने 500 रुपये देकर उनकी मदद की थी और यहीं से उनकी कभी न टूटने वाली दोस्ती की शुरुआत हुई।
बाजपेयी ने कहा, “यह दास्तान ‘आवारा हूं’ जैसे प्रतिष्ठित गीतों के निर्माण पर आधारित है जिसे शैलेंद्र ने फिल्म की कहानी सुने बिना लिखा था। खास बात यह है कि जो गीत भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर बना उसे पहले-पहल राज कपूर ने खारिज कर दिया था।”
दास्तान का समापन फिल्म ‘तीसरी कसम’ से जुड़ी एक कहानी के साथ हुआ।
बाजपेयी ने कहा कि कार्यक्रम में उपस्थित कई रूसी लोगों ने इस आकर्षक भारतीय कला की सराहना की।
मिशन के उपप्रमुख निखिलेश गिरि ने कार्यक्रम के समापन पर कहा, “दास्तान एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली कला है और बाजपेयी इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि हम उन्हें अगले वर्ष फिर से रूस आमंत्रित करेंगे।”
भाषा किशोर सलीम जितेंद्र
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