पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन को नीलामी में तीन लोगो ने खरीदा |

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन को नीलामी में तीन लोगो ने खरीदा

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन को नीलामी में तीन लोगो ने खरीदा

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Modified Date: November 14, 2024 / 03:49 PM IST
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Published Date: November 14, 2024 3:49 pm IST

बागपत (उप्र),14 नवम्बर (भाषा) उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के कोताना में स्थित शत्रु संपत्ति के अंतर्गत आने वाली दो हेक्टेयर जमीन को तीन लोगों ने नीलामी में खरीदने के बाद उसका 25 फीसदी रुपया जमा करा दिया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

निलामी में जिन जमीनों की बिक्री की गयी है वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी बताई गयी है।

जिले के अपर जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) पंकज वर्मा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि आठ प्लाट जिसमें कुल 13 बीघे जमीन है, इन्हें तीन लोगो ने ऑनलाइन नीलामी के जरिये एक करोड़ 38 लाख 16 हज़ार रूपयें में खरीदा है। इसका 25 फीसदी पैसा इनको जमा करना था जो वे कर चुके हैं।

उक्त नीलाम सम्पत्ति को सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजनों की बतायी जा रही है।

हालांकि, वर्मा के अनुसार इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नही है और न ही कोई ऐसा प्रमाण सामने आया है कि नुरू, परवेज मुशर्रफ का परिजन था।

राजस्व अभिलेख में यह शत्रु सम्पत्ति नुरू के नाम से दर्ज है जिसे नीलाम किया गया है।

इस नुरू और परवेज मुशर्रफ के बीच कोई दस्तावेजी संबंध नहीं है। रिकॉर्ड में केवल इतना दिखाया गया है कि नुरू एक निवासी था, जो 1965 में पाकिस्तान चला गया था।’

पंकज ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया था और इसकी बिक्री स्थापित नियमों के अनुसार की गई ।

उन्होंने यह भी कहा कि बड़ौत तहसील से करीब आठ किलोमीटर दूर कोताना गांव में स्थित यह जमीन आवासीय श्रेणी में नहीं आती।

वहीं बड़ौत के उप जिलाधिकारी अमर वर्मा पहले ही पीटीआई-भाषा से बातचीत में बता चुके हैं कि मुशर्रफ के दादा कोटाना में रहते थे। “जहां तक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का सवाल है, उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। वे यहां कभी नहीं आए और इन लोगों की यहां संयुक्त जमीन है।

वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां जरीन बेगम कभी इस गांव में नहीं रहीं, लेकिन उनके चाचा हुमायूं लंबे समय तक यहां रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘गांव में एक घर भी है, जहां हुमायूं आजादी से पहले रहते थे। 2010 में इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था।

भाषा सं जफर मनीषा रंजन

रंजन

 

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