प्रयागराज: Justice Sudhir Agarwal Allahabad High Court मार्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि में भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर न्यास बोर्ड ने जानकारी देते हुए बताया है कि जनवरी 2024 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसके बाद इसे भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। बता दें कि राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नौ नवंबर, 2019 को पूरी जमीन को राम मंदिर के नाम किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष के लिए अलग ही जमीन देने का फैसला सुनाया था। लेकिन इस बीच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने चौकाने वाले खुलासे किए हैं। ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने साल 2010 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस का फैसला सुनाने वाली पीठ के हिस्सा रहे।
Justice Sudhir Agarwal Allahabad High Court दरअसल सुधीर अग्रवाल मेरठ में शुक्रवार यानी 3 जून को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की। सुधीर अग्रवाल ने कहा, “फैसला सुनाने के बाद, मैं धन्य महसूस कर रहा था। मुझ पर इस मामले में फैसला टालने का दबाव था। घर के अंदर भी दबाव था और बाहर से भी। उन्होंने बताया कि परिवार और रिश्तेदार सभी सुझाव देते रहे थे कि वह किसी तरह समय कटने का इंतजार करें और खुद फैसला न दें।
जस्टिस अग्रवाल ने कहा, “अगर 30 सितंबर 2010 को वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला न सुनाते तो इसमें अगले 200 साल तक भी फैसला नहीं हो पाता। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। जिस के तहत अयोध्या में स्थित 2.77 एकड़ भूमि को समान रूप से तीन हिस्सों में विभाजित किया जाना था और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा ‘राम लला’ को दिया जाना था।
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पीठ में न्यायमूर्ति एस यू खान, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति डी वी शर्मा शामिल थे। नवंबर 2019 में एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में विवादित भूमि पर मंदिर बनाया जाएगा और सरकार को मुस्लिम पक्षकारों को कहीं और पांच एकड़ का भूखंड देने का आदेश दिया।
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