बरेली (उप्र), 22 जनवरी (भाषा) केन्या से 20 चीतों को लाकर मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़े जाने से पहले इन्हें पशु वैज्ञानिकों की टीम की निगरानी में पृथकवास में रखा जाएगा।
टीम में बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
चीतों को 25 फरवरी से 25 सितंबर के बीच केन्या से लाया जाएगा और उन्हें मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़े जाने से पहले पृथकवास में रखा जाएगा।
देश भर से वन्यजीव वैज्ञानिकों की एक टीम पृथकवास केंद्र की जांच करेगी। इस टीम में आईवीआरआई बरेली में वन्यजीव विभाग के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अभिजीत पावड़े भी शामिल होंगे।
आईवीआरआई के निदेशक और कुलपति डॉक्टर त्रिवेणी दत्त ने कहा, ‘एक बार फिर चीते भारत आ रहे हैं। गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़े जाने से पहले उन्हें पृथकवास में रखा जाएगा। पृथकवास केंद्र का निरीक्षण करने, सुविधाओं का मूल्यांकन करने और सुधार के सुझाव देने के लिए पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई है।’
उन्होंने बताया कि साल 1952 में केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। हाल के वर्षों में चीतों को भारत में फिर से लाने के प्रयास शुरू हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इसके तहत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों का पहला जत्था लाया गया और फिर 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। इन चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया।
दत्त ने बताया कि वर्तमान में कुनो नेशनल पार्क में कुल 25 चीते हैं, जिनमें 12 वयस्क और 13 शावक शामिल हैं। चीतों की संख्या में और वृद्धि करने के लिए अब केन्या से 20 चीतों को लाकर गुजरात और राजस्थान की सीमा से लगे गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में रखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि इन 20 चीतों को अभयारण्य के भीतर विशेष रूप से नामित पृथकवास केंद्र में 15 दिनों के लिए रखा जाएगा। यह केंद्र नई दिल्ली में ‘एनिमल क्वारंटीन एंड सर्टिफिकेशन सर्विस’ द्वारा स्थापित किया गया है।
आईवीआरआई के चिकित्सक अभिजीत पावड़े ने बताया, ‘गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में चीतों के लिए पृथकवास अवधि के दौरान एक अलग बाड़ा बनाया गया है। उन्हें यहां करीब 15 दिनों तक रखा जाएगा।’
उन्होंने बताया, ‘हमारी प्राथमिक चिंता इस अवधि के दौरान चीतों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। टीम यह भी निगरानी करेगी कि केन्या से लाए गए चीते किसी ऐसी बीमारी के वाहक तो नहीं हैं। इसके अलावा, नर और मादा चीतों को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जंगल में छोड़े जाने से पहले वे एक साथ रहने में सहज हों।’
भाषा सं सलीम संतोष
संतोष