लोक और राष्ट्र कल्याण से जुड़ी है भारत की ऋषि परंपरा : योगी

लोक और राष्ट्र कल्याण से जुड़ी है भारत की ऋषि परंपरा : योगी

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  • Publish Date - July 21, 2024 / 09:03 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 09:03 PM IST

गोरखपुर, 21 जुलाई (भाषा) गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि भारत की सनातन ऋषि परंपरा व गुरु परंपरा लोक और राष्ट्र कल्याण की परंपरा है।

मुख्यमंत्री ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर स्थित महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन में विगत 15 जुलाई से जारी श्रीरामकथा के समापन सत्र और गुरु पूर्णिमा महोत्सव को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। आदित्यनाथ ने सभी देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं।

उन्होंने कहा, “भारत की सनातन ऋषि परंपरा व गुरु परंपरा लोक और राष्ट्र कल्याण की परंपरा है। यह हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि हमारे जीवन का एक-एक कर्म, एक-एक क्षण सनातन के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए समर्पित होना चाहिए। ऐसा करके ही हम गुरु परंपरा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं।”

आदित्यनाथ ने महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के चित्र पर पुष्पार्चन करने तथा व्यासपीठ का पूजन करने के बाद कहा कि सनातन संस्कृति में ऋषि के साथ गोत्र की परंपरा भी साथ में चलती है।

उन्होंने कहा कि जब गोत्र की बात होती है तो जाति भेद समाप्त हो जाता है और हर गोत्र किसी न किसी ऋषि से जुड़ा है और ऋषि परंपरा जाति, छुआछूत का भेदभाव नहीं रखती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया में सर्वाधिक समृद्ध और प्राचीन है और सनातन पर्व-त्योहार इसके उदाहरण हैं तथा ये पर्व-त्योहार भारत को और सनातन धर्मावलंबियों को इतिहास की किसी न किसी कड़ी से जोड़ते हैं।

उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि यह महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास की जयंती है जिनकी कृपा से वैदिक साहित्य प्राप्त हुए हैं और उन्होंने वेदों, पुराणों और अनेक महत्वपूर्ण शास्त्रों को उपलब्ध कराया है।

आदित्यनाथ ने कहा, “पांच हजार वर्ष पहले महर्षि व्यास इस धराधाम पर थे उस कालखंड में उन्होंने कई पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व किया। अनेक ग्रंथों की रचना कर उसे वर्तमान पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए भी अनुकूल बना दिया। भारत के अलावा पांच हजार वर्ष का इतिहास दुनिया में किसी के पास नहीं है।”

इससे पहले, गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में 15 जुलाई से जारी श्रीरामकथा का समापन व्यासपीठ पर विराजमान श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की आरती के साथ हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरती की।

इस अवसर पर उन्होंने कथाव्यास बाबा बालकदास के प्रति आभार भी व्यक्त किया और कहा कि हर व्यक्ति को कुछ समय ऐसी कथाओं को सुनने के लिए जरूर निकालना चाहिए।

भाषा आनन्द सलीम नोमान

नोमान