लखनऊ, 10 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के एक सदस्य को हिंदू मंदिरों पर हमला करने और अन्य आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने के लिए विभिन्न अवधि का सश्रम कारावास और उम्र कैद की सजा सुनाई।
एनआईए ने एक बयान में बताया कि लखनऊ में विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य हिस्सों में कथित तौर पर आतंकी हमले की आपराधिक साजिश रचने के मामले में असम के होजाई के निवासी कमरूज जमां को दोषी ठहराया और जेल भेज दिया।
एनआईए ने 2018 में मामले की जांच लखनऊ के आतंकवाद रोधी दस्ते से अपने हाथों में ले ली थी जिसके बाद दोबारा मामला दर्ज किया गया।
इस मामले में ओसामा बिन जावेद समेत पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था। जावेद सितंबर 2019 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
एनआईए ने कहा कि जांच में साबित हुआ कि आरोपी जमां ने सह-आरोपियों के साथ मिलकर कथित तौर पर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की आपराधिक साजिश रची थी और कथित तौर पर विभिन्न हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने की फिराक में था।
इसने कहा कि यह जानते हुए वह धन जुटाने में भी शामिल रहा कि इस धन का इस्तेमाल हिज्बुल मुजाहिदीन के सदस्य आतंकवादी गतिविधियों के लिए करेंगे। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपी ओसामा बिन जावेद ने आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए जमां को कट्टरपंथी बनाया था।
हिज्बुल मुजाहिदीन के जिला कमांडर मोहम्मद अमीन और उप जिला कमांडर रियाज अहमद उर्फ हजारी ने जावेद और जमां को भर्ती किया था। अमीन और रियाज जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के निवासी हैं।
एनआईए ने बताया कि हिज्बुल मुजाहिदीन के दोनों आतंकवादी किश्तवाड़ के जंगलों में जमां और जावेद को हथियार चलाने व अन्य प्रशिक्षण देते थे, जिसके बाद जमान को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उत्तर प्रदेश, असम और भारत के अन्य हिस्सों में बेस और लक्ष्य चयनित करने के लिए कहा था।
एनआईए के अनुसार जमां कानपुर (उत्तर प्रदेश) आया था, जहां उसने कुछ बेस की रैकी भी की थी।
एनआईए की विशेष अदालत ने जमां को कानून की विभिन्न धाराओं के तहत 10 साल सश्रम कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना, आजीवन कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना, आजीवन कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना तथा 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
एजेंसी ने बयान में कहा कि प्रत्येक मामले में जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उसे तीन माह का अतिरिक्त साधारण कारावास काटना होगा और सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
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