उच्च न्यायालय ने बहराइच ध्वस्तीकरण से जुड़े मामले में जवाब दाखिल न करने पर उप्र सरकार को फटकार लगाई

उच्च न्यायालय ने बहराइच ध्वस्तीकरण से जुड़े मामले में जवाब दाखिल न करने पर उप्र सरकार को फटकार लगाई

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  • Publish Date - October 23, 2024 / 11:01 PM IST,
    Updated On - October 23, 2024 / 11:01 PM IST

लखनऊ, 23 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बहराइच जिले में ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी करने के मामले में रविवार को दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अब तक विस्तृत जवाब नहीं दाखिल करने के लिए बुधवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई।

पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि क्या राज्य के अधिकारी आदेश की भावना को नहीं समझ पाए। पीठ का मानना था कि उसने मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) शैलेंद्र सिंह से सड़क पर लागू होने वाली श्रेणी और मानदंडों के बारे में सभी निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा था, लेकिन जनहित याचिका की सुनवाई योग्यता पर आपत्ति जताई जा रही है।

पीठ ने सीएससी को अदालत की रजिस्ट्री में जनहित याचिका की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) पर आपत्ति दर्ज करने को कहा और सुनवाई चार नवंबर तक टाल दी।

न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रविवार को विशेष पीठ ने प्रभावित लोगों को नोटिस का जवाब देने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा दिए गए तीन दिन के समय को बढ़ाकर 15 दिन कर दिया था।

इससे जिले के अधिकारियों द्वारा कथित अवैध निर्माण को हटाने की तैयारियां धरी की धरी रह गईं।

बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने जनहित याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति दर्ज की।

इस पर पीठ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्या राज्य के अधिकारियों ने रविवार को पारित पिछले आदेश की भावना को नहीं समझा है।

पिछले आदेश में पीठ ने सीएससी को संबंधित सड़क पर लागू श्रेणी और मानदंडों के बारे में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा था।

पीठ ने जोर देकर कहा था कि पोषणीयता के अलावा वह मामले के सभी पहलुओं पर विचार करेगी।

जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य ने अवैध तरीके से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया है और ध्वस्तीकरण अभियान शुरू करने की उसकी कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्देशों का उल्लंघन है, जिसमें कुछ मामलों को छोड़कर बुलडोजर कार्रवाई पर प्रतिबंध लगाया गया है।

अदालत ने इस संबंध में भी अवगत कराने को कहा था कि कुंडसार-महसी-नानपारा-महाराजगंज रोड के ‘किलोमीटर 38’ पर कितने घर बने हैं और इस सड़क के संबंध में कौन से नियम लागू होते हैं।

अदालत ने कहा कि तथ्यों के संबंध में पूछे गए इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं दिया गया और मात्र पोषणीयता पर आपत्ति दाखिल की जा रही है।

बहराइच जिले के एक गांव में 13 अक्टूबर को जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक टकराव में राम गोपाल मिश्रा (22) की गोली लगने से मौत हो गई थी।

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा क्षेत्र में 23 संपत्तियों को नोटिस दिए गए थे, जिनमें से 20 मुसलमानों की हैं। पीडब्ल्यूडी ने पिछले शुक्रवार को महाराजगंज क्षेत्र में निरीक्षण किया था और मिश्रा की हत्या के आरोपी अब्दुल हमीद सहित 20-25 घरों की माप ली थी।

भाषा सं जफर

नोमान

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