लखनऊ : #SarkarOnIBC24 : सावन आने वाला है और उसके साथ पूरे देश में कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी हो जाएगी, लेकिन इससे पहले उत्तर प्रदेश में प्रशासन के एक फरमान से पूरे देश में सियासत शुरू हो गई है। क्या है ये फरमान और इस फरमान के बाद विपक्ष क्यों आक्रमक हो गया?
यह भी पढ़ें : #SarkarOnIBC24 : पूर्व IAS नियाज खान का विवादित पोस्ट, बढ़ती आबादी, मुसलमान जिम्मेदार?
#SarkarOnIBC24 : यूपी में कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन के जारी नए फरमान के बाद सियासी बवाल मच गया है। दरअसल उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा को लेकर एक नया नियम जारी किया है। जिसके मुताबिक अब कावड़ यात्रा के रास्त में हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। आदेश जारी कर कहा गया है कि ये फैसला कावड़ियों में किसी भी प्रकार से कंफ्यूजन से बचने के लिए लिया गया है, ताकि किसी प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू न हो और कानून-व्यवस्था बनी रहे।
कांग्रेस पार्टी समेत पूरे विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि ये हमारी भारतीय तहजीब पर हमला हैऔर हमें ऐसी विचारधारा को खुद से दूर रखना होगा। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस पर भारी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं। खुद बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखती है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि जिला प्रशासन कांवड़ यात्रा में दुकान पर नाम लिखने के नियम की समीक्षा करें और इसे अन्य जिलों में लागू न करें। हालांकि बीजेपी ने विपक्ष की आपत्ति को कोरी सियासत बताया है।
#SarkarOnIBC24 : दरअसल पिछले साल कावड़ यात्रा के समय मुजफ्फरनगर के होटल-ढाबो पर आरोप लगा था कि मुस्लिम समाज के लोग हिंदू देवी देवताओं के नाम पर होटल-ढाबो को संचालित कर रहे हैं और इस बार ऐसी कोई स्थिति या विवाद न हो इसलिए प्रशासन ने फल ठेलों और ढाबों-होटल संचालकों को अपना नाम भी लिखने का फरमान जारी कर दिया है और अब यूपी में कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर जिले में खाने-पीने और फल की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों ने अपने-अपने नाम लिखकर टांग लिए हैं। तो कांवड़ यात्रा से पहले यूपी में प्रशासन के फरमान पर सियासत शुरू हो गई है। एक तरफ पहले ही यूपी में सरकार और संगठन को लेकर सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है और उसके बाद इस फरमान ने विपक्ष को सरकार की घेराबदी का एक और मौका दे दिया।