फर्रुखाबाद में दो लेखपालों की पिटाई मामले में 30 ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

फर्रुखाबाद में दो लेखपालों की पिटाई मामले में 30 ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

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  • Publish Date - October 1, 2024 / 07:19 PM IST,
    Updated On - October 1, 2024 / 07:19 PM IST

फर्रुखाबाद, (उप्र) एक अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में पुलिस ने दो लेखपालों (राजस्व अधिकारियों) की पिटाई करने के आरोप में 30 ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

नवाबगंज थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) बलराज भाटी ने मंगलवार को बताया कि लेखपाल रुद्र प्रताप सिंह और सौरभ पांडेय की पिटाई करने के आरोप में 30 नामजद ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

उन्होंने बताया कि मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 193 (1) (जिस भूमि पर अवैध रूप से एकत्र होने या दंगा होने की स्थिति में मालिक, कब्जेदार आदि की जिम्मेदारी), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 132 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 125 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य), 241 (साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने से रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना), 61 (2) (आपराधिक साजिश) और 109 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज किया गया है।

इस बीच, लेखपाल संघ के जिला अध्यक्ष अजीत द्विवेदी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर लेखपालों का एक संघ लखपाल संघ धरना दे रहा है।

फर्रुखाबाद जिले में उखरा गांव के कई मकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई से नाराज ग्रामीणों ने दो लेखपालों (राजस्व अधिकारी) की सोमवार को पुलिस की मौजूदगी में कथित रूप से पिटाई कर दी।

घटना से नाराज लेखपालों के संगठन ने मारपीट करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

यह घटना नवाबगंज थाना क्षेत्र के उखरा गांव में हुई जहां शनिवार को जिला प्रशासन की टीम ने बुलडोजर चलाकर सरकारी जमीन पर बने कई मकानों को ध्वस्त कर दिया था।

भाजपा के कुछ नेता सोमवार को जब गांव पहुंचे और क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार, एसएचओ बलराज भाटी के साथ लोगों से बातचीत कर रहे थे, तभी कुछ ग्रामीण हिंसक हो गए और लेखपाल सिंह व पांडेय पर हमला कर दिया। पुलिस ने किसी तरह भीड़ को तितर-बितर कर स्थिति को नियंत्रित किया।

द्विवेदी ने दावा किया कि उनके साथियों को बेरहमी से पीटा गया और उनके अभिलेख छीन लिए गए। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार शाम को गांव में सरकारी भूमि पर बने ढांचों को चार बुलडोजर की मदद से ध्वस्त कर दिया गया था।

सदर तहसीलदार श्रद्धा पांडेय ने बताया कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के लिए ग्राम समाज की सहमति से करीब डेढ़ हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। उन्होंने कहा, ‘सरकारी भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा था। इसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जा रहा है। सभी अवैध निर्माण ढहा दिए जाएंगे।’

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्‍स’ पर कहा था, ”ये है प्रतिशोध से भरी भाजपाई राजनीति का वीभत्स चेहरा। भाजपा बसे-बसाये घरों को गिरा कर सुख पाती है। जिन्होंने अपने घर नहीं बसाये, पता नहीं वो दूसरों के घर गिराकर किस बात का बदला लेते हैं। हर गिरते घर के साथ भाजपा और भी नीचे गिर जाती है।’’

उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 17 सितंबर को अंतरिम आदेश पारित किया था कि देश में बिना उसकी अनुमति के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने हालांकि, यह भी स्पष्ट किया था कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइन या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण के मामलों में लागू नहीं होगा।

भाषा सं आनन्द धीरज

धीरज