उप्र के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली सीमा के पास डटे

उप्र के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली सीमा के पास डटे

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  • Publish Date - December 3, 2024 / 12:11 AM IST,
    Updated On - December 3, 2024 / 12:11 AM IST

अलीगढ़/अमरोहा/आगरा/बुलंदशहर/ लखनऊ, दो दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान सोमवार को सरकार द्वारा अधिग्रहित अपनी जमीनों के उचित मुआवजे की मांग को लेकर दिल्ली कूच के लिए नोएडा-दिल्ली सीमा पर पहुंचे और ‘‘बोल किसान हल्ला बोल’’ जैसे नारे लगाकर प्रदर्शन किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुरू हुए किसानों के आंदोलन और नारेबाजी ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है।

इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘एक कृषि प्रधान देश में किसान का आंदोलित होना सरकार की सबसे बड़ी विफलता है।’’

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी की ओर किसानों के इस विरोध मार्च को देखते हुए पुलिस ने कई अवरोधक लगाए हैं।

कई अलग-अलग किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शशिकांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि नोएडा में सोमवार को किसानों का विरोध प्रदर्शन एसकेएम की गौतमबुद्ध नगर इकाई के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।

शशिकांत ने कहा, ‘‘आंदोलन को विफल करने के लिए एसकेएम के जिला प्रमुख गंगेश्वर दत्त शर्मा को सोमवार को गिरफ्तार किया गया, लेकिन मोर्चा के नेताओं ने सरकार के नरम पड़ने तक अपनी जायज मांगों के लिए दबाव बनाना जारी रखने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा कि किसानों की प्रमुख मांगों में भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 के तहत भूमि अधिग्रहण से जुड़े किसानों के बकाए का भुगतान शामिल है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनके मुआवजे की राशि का केवल 33.3 प्रतिशत भुगतान किया गया है।

किसान नेता ने कहा कि इस अधिनियम के तहत किसानों को ‘‘सभी विकसित भूमि के 10 प्रतिशत भूखंड’’ आवंटित करने का आदेश दिया गया था और कहा कि यह मांग भी पूरी नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि गौतमबुद्ध नगर में किसानों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के बीच रविवार को हुई वार्ता विफल होने के बाद सोमवार का विरोध प्रदर्शन हुआ।

इस बीच, एसकेएम ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि चार दिसंबर को मोर्चा ‘‘बिजली के निजीकरण’’ के खिलाफ पूरे उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेगा।

भारतीय किसान यूनियन के आगरा जिला अध्यक्ष राजवीर लवानिया ने कहा,‘‘हम पूरी तैयारी में हैं। आगरा संभाग के कुछ किसान नोएडा में सोमवार के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो और भी किसान आंदोलन में शामिल होंगे।’’

लवानिया ने कहा कि अभी तक आगरा संभाग से बमुश्किल 100 किसान ही प्रदर्शन में शामिल हुए हैं, लेकिन अगर भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड आवंटित करने, रोजगार लाभ और भूमिहीन किसानों के बच्चों के पुनर्वास की मांग पूरी नहीं हुई तो यह संख्या बढ़ सकती है।

किसान आंदोलन में शामिल किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा, अमरोहा इकाई के प्रमुख नरेश चौधरी ने सोमवार को दिल्ली से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सरकार हमारी जमीनों का सही मूल्य नहीं दे रही है। हम सभी मांग कर रहे हैं कि इस विसंगति को ठीक किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा की अमरोहा इकाई आंदोलन में भाग लेने के बाद वापस आ गई है।

चौधरी ने कहा, ‘‘हमारी इकाई वापस आ गई है, क्योंकि हम सरकारी नियमों का पालन करना चाहते हैं और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ना नहीं चाहते। हमें उम्मीद है कि सरकार किसानों की जायज मांगों पर विचार करेगी।’’

बुलंदशहर में भारतीय किसान यूनियन (संपूर्ण भारत) के प्रदेश प्रमुख पवन तेवतिया ने कहा कि उनकी इकाई ने भी आंदोलन में भाग लिया।

तेवतिया ने कहा, ‘‘नोएडा आंदोलन में शामिल ज्यादातर किसान नोएडा से ही हैं। उनकी मांग है कि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 10 प्रतिशत भूखंड और 64.7 प्रतिशत ज्यादा मुआवजा दिया जाए।’’

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. रुपेश वर्मा ने दावा किया कि मोर्चा अबकी बार किसानों की मांगों को हर हाल में पूरी करवा कर वापस लौटेगा।

उन्होंने बताया कि किसान अधिग्रहित जमीन के एवज में मिलने वाले सात प्रतिशत और पांच प्रतिशत भूखंड के बदले 10 प्रतिशत भूखंड आवंटन की मांग कर रहे हैं। उनकी मांगों में नये भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभों को लागू करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि 10 फीसदी भूखंड आवंटन का मसला वर्षों से लंबित है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘‘एक्‍स’’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘एक कृषि प्रधान देश में किसान का आंदोलित होना सरकार की सबसे बड़ी विफलता है।’’

यादव ने इसी पोस्ट में किसानों के हुजूम का 19 सेकंड का एक वीडियो साझा किया जिसमें आंदोलनरत किसान नजर आ रहे हैं।

सपा मुख्यालय से जारी एक बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि ‘‘भाजपा सरकार ने किसानों को धोखा दिया है। किसानों से झूठे वादे किये, छल किया। भाजपा की नीतियां किसान विरोधी और पूंजीघरानों की पोषक हैं।’’

यादव ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार ने किसानों की जमीन और फसलों को लूटा है। किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। फसलों की सही कीमत भी नहीं मिल रही है। देश के विभिन्न भागों में तमाम योजनाओं के लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण होता है लेकिन सरकार उन्हें बाजार के अनुसार लाभप्रद कीमत नहीं देती है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा किसानों की जमीन छीन कर औद्योगिक घरानों को औने-पौने दामों पर दे देती है। यही दशा किसानों की फसलों की है। किसानों की फसल सस्ते में खरीद कर मुनाफा में ऊंची कीमत पर बेची जाती है।

सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अपने करीबी उद्योगपतियों और व्यापारियों को मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करती है।

उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसानों का बुरा हाल है। लगातार बढ़ती महंगाई से खेती की लागत बढ़ गयी हैं। सरकार किसानों को खाद और बीज भी नहीं दे पा रही है।

भाषा मनीष, आनन्द धीरज

धीरज