(तस्वीर के साथ)
लखनऊ, 12 अप्रैल (भाषा) गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ चल रही धन शोधन जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में फिर छापेमारी की।
सूत्रों ने कहा कि छापेमारी में 75 लाख रुपये नकद और 200 बैंक खातों और लगभग 50 मुखौटा (शेल) कंपनियों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए।
प्रयागराज में 15 परिसरों पर सुबह-सुबह छापेमारी की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस की टीमों ने ईडी अधिकारियों को सशस्त्र सुरक्षा प्रदान की।
यह कार्रवाई उस दिन हुई जब समाजवादी पार्टी के 60 वर्षीय पूर्व विधायक को करीब एक पखवाड़े में दूसरी बार अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय कारागार से प्रयागराज के नैनी केंद्रीय कारागार लाया गया। उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में उसे एक अदालत में पेश किया जाएगा।
अहमद पर उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उसके और उसके परिवार के खिलाफ धनशोधन का ईडी का मामला इन प्राथमिकियों पर आधारित है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ईडी की टीमों ने 75 लाख रुपये नकद, कुछ विदेशी मुद्रा, लगभग 200 बैंक खातों और 50 मुखौटा संस्थानों से संबंधित दस्तावेज और पासबुक जब्त किए हैं, जिनके बारे में संदेह है कि अतीक व उसने सहयोगियों ने इनका इस्तेमाल जबरन वसूली, जमीन हड़पने और अन्य आपराधिक गतिविधियों से अर्जित “गलत कमाई” के शोधन के लिये किया।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने जिन लोगों के खिलाफ छापेमारी की उनमें अतीक अहमद के रिश्तेदार खालिद जफर, उसके साथी व वकील सौलत हनीफ खान, उसके सहयोगी असद, वदूद अहमद, काली, मोहसिन, लेखाकार सबीह अहमद, आसिफ जाफरी और सीताराम शुक्ला तथा रियल एस्टेट कारोबारी संजीव अग्रवाल तथा दीपक भार्गव शामिल हैं।
संघीय जांच एजेंसी ने अतीक अहमद के करीबी सहयोगियों और फर्मों के नाम पर 100 से अधिक संपत्तियों से संबंधित कुछ दस्तावेज भी बरामद किए। जांचकर्ताओं को संदेह है कि ये संपत्तियां अहमद की “बेनामी” संपत्तियां हैं।
सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं ने कुछ दस्तावेज भी बरामद किए हैं जो 50 करोड़ रुपये से अधिक के “नकद” लेन-देन की ओर इशारा करते हैं। संपत्तियों के कुछ दस्तावेज भी मिले हैं, जिनके कथित तौर पर आपराधिक धमकी के माध्यम से किसानों से “जबरन” खरीदे जाने का आरोप लगाया गया है।
ईडी ने 2021 में अहमद और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन की आठ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति उनके खिलाफ धन शोधन जांच के तहत कुर्क की थी। उस समय भी उसने कुछ जगह छापेमारी की थी।
ईडी ने कहा था कि उसकी जांच में पता चला है कि “अतीक आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से काली कमाई करता था, वह सारा पैसा नगद लेता और इसे अपने और अपने रिश्तेदार के बैंक खातों में जमा कराता था।”
जांच एजेंसी ने कहा था, “ईडी ने यह भी पाया है कि अतीत और उसके रिश्तेदारों के बैंक खातों में विभिन्न कंपनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा पैसा जमा कराया गया था। इन कंपनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का संचालन अतीक के सहयोगी करते हैं।”
भाषा
प्रशांत वैभव
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