उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शादी के मौसम में धूम मचा रहे ड्रोन ऑपरेटर

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शादी के मौसम में धूम मचा रहे ड्रोन ऑपरेटर

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  • Publish Date - December 15, 2024 / 02:59 PM IST,
    Updated On - December 15, 2024 / 02:59 PM IST

(चंदन कुमार)

बलिया (उप्र), 15 दिसंबर (भाषा) उत्‍तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शादी-ब्याह के मौसम में आजकल सबसे आकर्षण का केन्द्र ड्रोन कैमरे बन गये हैं। ग्रामीणों के बीच युवाओं के एक समूह के अनोखे हुनर की धूम मची है, क्योंकि वे शादियों में ड्रोन उड़ाते नजर आ रहे हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर बिहार की सीमा से सटे बलिया जिले के एक गांव के 20 वर्षीय सुमित कुमार, खास तौर पर शादियों के मौसम में ड्रोन पायलट के तौर पर लोगों की पहली पसंद बने हैं।

कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हर शादी में जब मैं अपना ड्रोन उड़ाता हूं तो हर मेहमान मेरी तरफ देखता है।’

बारात में शामिल लोगों ने दावा किया कि सुमित कुमार की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, क्योंकि वह प्रौद्योगिकी को परंपरा के साथ जोड़ते हैं, जिससे हर शादी अनूठी बन जाती है।

विवाह समारोहों में वृद्धि के सा-साथ शादियों में ड्रोन की मांग आसमान छू रही है। कुमार जैसे ड्रोन पायलट प्रत्येक कार्यक्रम के लिए 8,000 रुपये से 40,000 रुपये लेते हैं।

बलिया में एक स्थानीय मोबाइल शॉप के मालिक अवधेश सिंह, कुमार जैसे फोटोग्राफरों को ड्रोन और उनके पुर्जों की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने बताया कि शादियों में ड्रोन का इस्तेमाल काफी लोकप्रिय हो रहा है।

सिंह ने कहा कि “ड्रोन शादी की शानदार तस्वीरें तो प्रस्तुत करते ही हैं, मेहमानों के बीच चर्चा का विषय बन जाते हैं।”

ग्रामीण क्षेत्रों में काम करना पसंद करने वाले पुष्कर कहते हैं, ‘गांवों में इसके संचालन के लिए सहज अनुमति और नियम हैं और स्थानीय लोग तकनीक को देखने के लिए अधिक उत्साहित रहते हैं।’

सुमित कुमार ने कहा कि ‘मैंने दिल्ली में एक संस्थान में 15 हजार रुपये में ड्रोन उड़ाना सीखा। मेरा मानना है कि फोटोग्राफी के अलावा ड्रोन का इस्तेमाल करके बहुत कुछ किया जा सकता है और भविष्य में इसमें बहुत संभावनाएं हैं।’

सुमित वाराणसी में ड्रोन प्रशिक्षण अकादमी शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

अनुमान के अनुसार भारतीय ड्रोन बाजार 2022 में 2.71 अरब डॉलर था, जो 2030 तक बढ़कर 13 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।

भाषा चंदन आनन्‍द प्रशांत जोहेब

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