अयोध्या। भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान करवाने से पहले ही 15 जनवरी, 2024 से पूजन और विविध अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे जो 24 जनवरी तक चलते रहेंगे। मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोंविंद देव गिरि महाराज काशी व रामानंदी संप्रदाय के पांच प्रमुख संतों से राय लेकर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संपन्न करवाने के लिए वैदिक आचार्यों की टीम गठित करेंगे। ये लोग 22 जनवरी को रामलला की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा वैदिक रीति से करवाएंगे।
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने की पूरी संभावना है। उनकी प्राण- प्रतिष्ठा कार्यक्रम में क्या भूमिका होगी, इसका निर्णय वैदिक आचार्यो की टीम ही तय करेगी। यह जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने दी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पीएम का कार्यक्रम अभी ट्रस्ट को नहीं मिला है।
वहीं अयोध्या मंदिर समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बुधवार को राम मंदिर के उद्घाटन पर एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि तीर्थयात्री 26 जनवरी, 2024 से पहले भगवान राम को उनके बाल रूप में देख सकते हैं। अपने बयान में नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि मंदिर कब पूरा होगा, उनका सपना सच हो गया है कि मंदिर एक हकीकत है।
नृपेंद्र मिश्रा ने जानकारी दी कि मंदिर दो भागों में पूरा होगा, पहला भाग- चरण 1 दिसंबर 2023 तक पूरा होगा। यह मंदिर का भूतल होगा जो लगभग 2.6 एकड़ भूमि का है। भूतल में पांच मंडप हैं, जिसकी शुरुआत होगी गर्भगृह-जहां देवता स्थापित किए जाएंगे। भूतल पर 160 स्तंभ हैं और प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न रूपों की 25 प्रतीकात्मक कृतियां हैं। अयोध्या मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा, निचले चबूतरे पर काम, जो राम कथा बताता है, जो पत्थर पर नक्काशी पर आधारित है और वाल्मिकी रामायण से लिया गया है, लगभग 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
राम मंदिर में भक्तों की क्षमता पर बोलते हुए, मिश्रा ने कहा, हमारा वर्तमान अनुमान कहता है कि यदि मंदिर 12 घंटे खुला रहता है, तो लगभग 75,000 भक्त आसानी से दर्शन कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि एक भक्त एक से अधिक समय तक राम लला के दर्शन नहीं कर सकता है। यदि 1.25 लाख की भीड़ होती है, जिसकी हम शुरुआती दिनों में उम्मीद कर रहे हैं, तो दर्शन की अवधि लगभग 20 सेकंड कम हो जाएगी।
राम मंदिर से PM मोदी की निकटता पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, PM मोदी का मानना है कि यह मंदिर अवश्य ही एक वास्तविकता बनना चाहिए क्योंकि वह इसे इस देश के सांस्कृतिक विकास के एक हिस्से के रूप में देखते हैं। वह इसे देश के खजाने के एक हिस्से के रूप में देखते हैं। इस देश की सभ्यता, इस देश की आस्था की। यह उनकी अपेक्षा थी कि समुदाय आपस में, आपस में विलीन हो जाएंगे, और एक मंदिर बनेगा और जाहिर तौर पर, जब न्यायिक फैसला आया तो वह बेहद संतुष्ट थे।
विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामेश्वर चौपाल ने बताया कि गुरुवार से देश भर में गांव से शौर्य यात्राएं निकाली जा रही हैं जो गांव के मंदिरों से मिट्टी लेकर चलेगी। देश के पांच लाख मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसकी भी तैयारी चल रही है। ऐसे स्थलों का चयन कर वहां एलईडी पर अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लाइव दिखाने की भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि विभिन्न पंथ के 4 हजार संतों के अलावा करीब 3 हजार विभिन्न क्षेत्र के प्रतिनिधियों और राम मंदिर से जुड़े विशिष्टजनों को भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आमंत्रित किया जा रहा है। इनकी सूची तैयार हो गई है। इनके रहने और भोजन आदि सारी व्यवस्था मंदिर ट्रस्ट कर रहा है। इसके अलावा करीब 20 हजार श्रद्धालुओं को भी आमंत्रित किया जा रहा है। इनको राम लला के दर्शन नए भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद करवाया जाएगा।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए कारसेवकपुरम में भी कई प्रकार की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कारसेवकपुरम परिसर में टेंट सिटी विकसित की जा रही है। इस मैदान में करीब पांच हजार लोगों के रहने की व्यवस्था हो सकेगी। इसके लिए यहां अस्थायी शौचालय, आदि का भी निर्माण कराया जा रहा है। इसी तरह बाग बिजैसी पर भी 25 हजार भक्तों के लिए टेंट सिटी के निर्माण का काम चल रहा है। टेंट सिटी में कई तरह की सुविधाएं भी भक्तों के लिए विकसित की जा रही हैं।
दिसंबर तक मल्टीलेवल पार्किंग का काम पूरा हो जाएगा।
अयोध्या में राम जन्मभूमि क्षेत्र में 2.7 एकड़ में राम मंदिर बन रहा है। ये तीन मंजिला होगा और इसकी ऊंचाई 162 फीट होगी। मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से नक्काशीदार पत्थर लाए गए हैं। मंदिर के चारों ओर आठ एकड़ की परिधि में 48 फीट ऊंची प्राचीर भी बनाई जा रही है। मंदिर परिसर में राम मंदिर के अलावा छह और मंदिर बनाए जा रहे हैं। सिंह द्वार से राम मंदिर में प्रवेश करने से पहले पूर्वी दिशा में एक मुख्य द्वार होगा, जहां से श्रद्धालु परिसर में आएंगे।
मुख्य द्वार के बगल में ही निकास द्वार भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा एक सुरंग भी बन रही है, जहां से भी भक्त आ और जा सकेंगे। प्राण प्रतिष्ठा से पहले परिसर का मुख्य द्वार बन जाएगा। बता दें कि तीन मंजिला राम मंदिर के भूतल का निर्माण दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा और प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा।
आर्किटेक्चर और कंस्ट्रक्शन मटैरियल पर बात करते हुए मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसकी बजाय पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे का इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर ढाई एकड़ में बना हुआ है। लेकिन अगर इसमें ‘परिक्रमा पथ’ भी जोड़ लिया जाए तो ये पूरा परिसर आठ एकड़ का हो जाता है।
मिश्रा के मुताबिक, मंदिर निर्माण में अब तक करीब 900 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। और पूरा मंदिर परिसर बनने में 1,700 से 1,800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि कुछ कलाकृतियां एएसआई को खुदाई के दौरान मिली थीं और कुछ निर्माण कार्य के दौरान मिली हैं। इनमें से कुछ को ट्रस्ट के देखरेख में सुरक्षित रखा गया है। एएसआई से अनुमति मिलने के बाद इन्हें मंदिर परिसर में बन रहे संग्रहालय में रखा जाएगा।
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