भाजपा के लोग धर्म और जातियों को लड़ाकर राजनीति करना चाहते हैं : अखिलेश

भाजपा के लोग धर्म और जातियों को लड़ाकर राजनीति करना चाहते हैं : अखिलेश

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  • Publish Date - October 12, 2024 / 06:48 PM IST,
    Updated On - October 12, 2024 / 06:48 PM IST

लखनऊ, 12 अक्टूबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा के लोग धर्म और जातियों को लड़ाकर राजनीति करना चाहते हैं।

अखिलेश यादव आज यहां गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क में पहुंचकर समाजवादी चिंतक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की 57 वीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद एकत्र कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों एवं जनसमुदाय को सम्बोधित कर रहे थे।

अपने संबोधन में सपा प्रमुख ने कहा कि ”भाजपा की नीतियां विनाशकारी हैं। संविधान से बनी हर चीज को यह उलटना चाहते हैं। यह वह लोग है जो नफरत की राजनीति करते हैं। वे भेदभाव करते हैं। यह वे लोग हैं जो धर्म जातियों को लड़ाकर राजनीति करना चाहते हैं।”

यादव ने लोहिया को नमन करते हुए कहा, ‘‘हम उनके सपनों का समाजवादी भारत बनाने का सपना पूरा करने का संकल्प लेते हैं। लोहिया ने देश में हर तरह से भेदभाव के खात्मे, और जाति तोड़ने का आह़वान किया था।”

उन्‍होंने कहा, ”लोहिया ने हर स्तर पर हो रहे भेदभाव का विरोध किया था। समाजवादी व्यवस्था से ही गरीबी मिटेगी और पढ़ाई में भेदभाव मिटेगा। उनकी दाम बांधो नीति से ही महंगाई, गरीबी दूर होगी। लोहिया जी ने सप्तक्रांति के माध्यम से समाज में खुशहाली का रास्ता दिखाया था।”

सपा मुख्यालय से जारी एक बयान के अनुसार लोहिया की पुण्यतिथि पर आज राजधानी लखनऊ में मुख्य कार्यक्रम लोहिया पार्क में हुआ। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, गोमती नगर में विधायक रविदास मेहरोत्रा ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया। प्रदेश के विभिन्न जनपदों और अन्य प्रदेशों में भी समाजवादी पार्टी के कार्यालयों में डॉ0 राम मनोहर लोहिया को श्रद्धांजलि दी गई।

सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ”जब सरकार यह कह रही है कि पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्‍यवस्‍था है, अगर हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है तो आखिरकार ‘हंगर इन्डेक्स’ पर हम कहां खड़े हैं। 105 वें स्थान पर हैं।’’

यादव ने कहा कि रेलवे में सुधार की बड़ी-बड़ी बाते की गई थी। लेकिन परिणाम क्या निकला। ट्रेन दुर्घटनाएं रिकार्ड तोड़ रही हैं।

भाषा आनन्द रंजन

रंजन