बस्ती: Sahab Mujhe Jinda Krwa Dijiye उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही राम राज लाने के कितने दावे ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। उत्तर प्रदेश से रोजाना सामने आ रही है खबरें सरकार के दावों की पोल खोलकर रख देती है। ऐसा ही एक मामला गौर बस्ती के गौर ब्लॉक से सामने आया है, जहां अधिकारियों ने जिंदा व्यक्ति को कागजों में मृत घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं कागजों में मृत घोषित किए जाने के बाद बुजुर्ग का पेंशन भी रोक दिया गया है। फिलहाल पूरे इलाके में इस मामले चर्चा जोरों पर है।
Sahab Mujhe Jinda Krwa Dijiye मिली जानकारी के अनुसार गौर ब्लाक के पतिला गांव निवासी छोटू को पिछले कई सालों से समाज कल्याण विभाग की ओर से वृद्धा पेंशन का भुगतान किया जा रहा था। लेकिन हाल ही में जब छोटू अपने वृद्धा पेंशन का सत्यापन करवाने पहुंचे तो पता चला कि वो मर चुके हैं। खुद की मौत की खबर सुनकर बुजुर्ग छोटू के पैरों तले जमीन खिसक गई और फिर उन्होंने शिकायत करने का फैसला लिया।
पीड़ित बुजुर्ग छोटू ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखकर अपने समस्या का समाधान करने का निवेदन किया था, लेकिन कोई हल नहीं मिला। वहीं, अब छोटू ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर “साहब मैं हूं जिंदा” लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। अब देखने वाली बात ये होगी कि सीएम पोर्टल में शिकायत करने के बाद छोटू जिंदा होते हैं या नहीं।
— IBC24 News (@IBC24News) December 28, 2024
बस्ती : गौर ब्लाक के अधिकारियों का अजब गजब कारनामा । वृद्धा पेंशन के सत्यापन में जीवित व्यक्ति को किया मृत घोषित। समाज कल्याण विभाग से कई सालों से पा रहे थे वृद्धा पेंशन सत्यापन में हुए मृत। क्षेत्र मे बना है चर्चा का विषय कि अधिकारियों की मिलीभगत कैसे जिंदा व्यक्ति किया… pic.twitter.com/ixyCONoGkg
समाज कल्याण विभाग के रिकॉर्ड में गलती के कारण, छोटू को कागजों में “मृत” घोषित कर दिया गया, जिससे उनकी वृद्धा पेंशन रोक दी गई।
छोटू ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखकर अपनी समस्या का समाधान मांगा। जब समाधान नहीं हुआ, तो उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई।
छोटू ने पोर्टल पर “साहब मैं हूं जिंदा” लिखकर अपनी शिकायत दर्ज की और पेंशन बहाल करने का अनुरोध किया।
फिलहाल शिकायत की चर्चा जोरों पर है, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
अगर किसी व्यक्ति को गलती से मृत घोषित किया जाता है, तो संबंधित विभाग को लिखित शिकायत करें। अगर समाधान न मिले, तो मुख्यमंत्री पोर्टल या जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।