इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हत्या मामले में विशेष एमपी एमएलए अदालत के आदेश पर रोक लगाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हत्या मामले में विशेष एमपी एमएलए अदालत के आदेश पर रोक लगाई

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  • Publish Date - March 28, 2025 / 12:33 AM IST,
    Updated On - March 28, 2025 / 12:33 AM IST

लखनऊ, 27 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बलरामपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत के आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत उसने समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रिजवान जहीर और अन्य के खिलाफ हत्या के एक मामले में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा था।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की लखनऊ पीठ ने जहीर और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी कर मामले में उनका जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर आदेश पारित किया। विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने बलरामपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक बलरामपुर से जवाब मांगा था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए क्यों न मामले को उच्च न्यायालय भेज दिया जाए।

स्थानीय पुलिस ने विशेष अदालत में सपा के पूर्व सांसद रिजवान जहीर और अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या के मामले में जारी आपराधिक सुनवाई की कार्यवाही रोकने के लिए आवेदन दिया था ताकि गैंगस्टर एक्ट के मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी की जा सके।

राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर किए जाने के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके शाही ने मामले का उल्लेख करते हुए अदालत से अनुरोध किया कि यह प्रकरण बहुत जरूरी है लिहाजा मामले की सुनवाई उसी दिन की जाए।

दरअसल, बलरामपुर जिले की विशेष एमपी-एमएलए अदालत में रिजवान जहीर व अन्य के खिलाफ हत्या के मुकदमे की सुनवाई जारी है। उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में भी सुनवाई चल रही है। पुलिस ने विशेष अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा था कि चूंकि गैंगस्टर एक्ट में यह प्रावधान है कि अगर किसी आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर के साथ-साथ अन्य धाराओं में भी मुकदमा चल रहा है तो ऐसी स्थिति में पहले गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे की सुनवाई होगी और अन्य मामलों की सुनवाई रोक दी जाएगी।

इसी आधार पर पुलिस ने अर्जी दाखिल कर कहा कि चूंकि रिजवान जहीर व अन्य के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा चल रहा है तो इससे पहले हत्या के मुकदमे में चल रही सुनवाई रोक दी जाए। पुलिस की इस अर्जी पर विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने नाखुशी जाहिर की और गत 13 जनवरी और 21 मार्च को आदेश पारित कर बलरामपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा कि क्यों न पुलिस की उक्त अर्जी को अवमानना मानते हुए मामले को कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय भेज दिया जाए।

याचिका पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही व अपर शासकीय अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने तर्क दिया कि वह प्रार्थना पत्र स्थानीय पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट की धारा 12 व नियम 57 के तहत दिया गया था इसलिए विशेष एमपी-एमएलए अदालत का आदेश अवैधानिक व मनमाना है और तत्काल निरस्त किये जाने योग्य है।

भाषा सं. सलीम शोभना

शोभना