इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सरकार से मांगा जवाब

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  • Publish Date - August 31, 2024 / 12:02 AM IST,
    Updated On - August 31, 2024 / 12:02 AM IST

लखनऊ, 30 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अविनाश मेहरोत्रा ​​मामले में पारित सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों की विफलता पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है।

पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे किसी अधिकारी को नियुक्त करें, ताकि वह स्पष्टीकरण दे सकें और पांच सितंबर को मामले में हलफनामा दाखिल कर सकें।

पीठ ने कहा कि यदि वह अगली तारीख पर अधिकारी के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हुई तो वह मुख्य सचिव को अदालत में उपस्थित होकर मामले की व्याख्या करने का निर्देश दे सकती है।

न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बी आर सिंह की पीठ ने पिछले सप्ताह गोमती नदी तट के निवासियों द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में कहा गया है कि 2009 में उच्चतम न्यायालय ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे लेकिन उनका पालन नहीं किया जा रहा है।

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यातायात पुलिस के संयुक्त आयुक्त को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि हजरतगंज और राजभवन के आसपास के क्षेत्रों में स्कूली बच्चों को स्कूल परिसर के अंदर ही छोड़ा और चढ़ाया जाए।

इससे पहले, राज्य के वकील ने स्कूलों के निरीक्षण के बारे में पांच जिलों के बारे में भारी भरकम रिकॉर्ड पेश किए थे लेकिन जांच करने पर पीठ ने पाया कि वास्तव में कोई जांच रिपोर्ट नहीं थी, बल्कि कई स्कूलों के प्रिंसिपल द्वारा केवल फॉर्म जमा किए गए थे।

अविनाश मेहरोत्रा मामले में उच्चतम न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने और यह देखने के लिए एक विस्तृत तीन-स्तरीय ढांचा बनाया कि दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन हो रहा है या नहीं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी राज्य सरकार की सहायता करने के लिए कहा गया है।

भाषा सं आनन्द शोभना

शोभना