(अतिरिक्त सामग्री के साथ रिपीट)
लखनऊ, 23 दिसंबर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर उठे विवाद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के परभणी दौरे की पृष्ठभूमि में कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीयत व नीति में खोट होने का आरोप लगाया।
मायावती ने कहा कि दलित वोट के स्वार्थ की खातिर बसपा को छोड़कर अन्य राजनीतिक पार्टियां आंबेडकरवादी होने का ढोंग करती रहती हैं, जबकि दलित/बहुजन के हितों की बात करें तो ये ‘‘मुंह में राम बगल में छुरी’’ की कहावत को चरितार्थ करती हैं।
बसपा प्रमुख ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के परभणी (महाराष्ट्र) दौरे से पहले सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर क्रमवार पोस्ट में कहा, ”भारतीय संविधान के मूल निर्माता परम पूज्य बाबासाहेब डा. भीमराव आंबेडकर का अनादर/अपमान व उनके करोड़ों अनुयायियों के प्रति हीन भावना का दुखद परिणाम है कि परभणी जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं। साबित है कि कांग्रेस व भाजपा आदि कोई इनका सच्चा हितैषी नहीं। सबकी नीयत, नीति में खोट है।”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का सोमवार को महाराष्ट्र के परभणी शहर का दौरा प्रस्तावित है। गांधी इस महीने की शुरुआत में वहां हुई हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिवारों से मिल सकते हैं।
मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर के रेलवे स्टेशन के बाहर 10 दिसंबर की शाम को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त किये जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
राहुल गांधी का नाम लिए बिना मायावती ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘परभणी की घटना को लेकर कांग्रेस नेता का आज का दौरा घड़ियाली आंसू बहाने जैसा है, क्योंकि बाबासाहेब के जीते जी व उनके देहांत के बाद भी कांग्रेस का उनके व उनके अनुयायियों के हित व कल्याण के प्रति रवैया हमेशा जातिवादी व तिरस्कारपूर्ण रहा है। इन्हें दलितों-पिछड़ों की याद केवल अपने बुरे वक्त में आती है।”
मायावती ने राज्यसभा में आंबेडकर को लेकर गृह मंत्री शाह की टिप्पणी का जिक्र करते हुए लोगों से अपील की, ‘‘इसी क्रम में केन्द्रीय गृह मंत्री से संसद में बाबासाहेब विरोधी टिप्पणी को वापस लेने की मांग को लेकर बसपा द्वारा कल मंगलवार को देश भर में जिला मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन को सफल बनाने की सर्व समाज से अपील।”
इसी पोस्ट में उन्होंने कहा, ”बाबासाहेब के नाम पर छलावापूर्ण राजनीति करने वालों से सावधानी जरूरी है।”
राज्यसभा में पिछले सप्ताह मंगलवार को संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘‘अभी एक फैशन बन गया है… आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’
शाह के इस बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी तीखी आलोचना की है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि ”बसपा का आंबेडकरवादी आत्म-सम्मान आंदोलन ’बहुजन समाज’ को वोट के माध्यम से शासक वर्ग बनाने का राजनीतिक मिशन है, जबकि दूसरी पार्टियां केवल इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर आंबेडकरवादी होने का ढोंग करती रहती हैं। दलित/बहुजन के हितों में इनके मुंह में राम, बगल में छुरी जैसी स्थिति है।”
भाषा आनन्द मनीषा वैभव
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