Acharya Pramod Krishnam on the statement Swami Prasad Maurya : नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। लेकिन विपक्ष द्वारा बयानबाजी अभी भी जारी है। एक ओर जहां राम मंदिर को लेकर देश में उत्साह का माहौल है तो दूसरी ओर राम मंदिर के उद्घाटन को विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार अपने स्तर से बयान देते नजर आ रहे हैं। अपने बयान से चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दे दिया है।
Acharya Pramod Krishnam on the statement Swami Prasad Maurya : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कासगंज में कहा कि कारसेवकों पर तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए अराजक तत्वों पर देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कांग्रेस सांसद आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए बयान दिया है। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “समाजवादी पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की कहानी विक्रम बेताल जैसी है। अखिलेश यादव के ऊपर स्वामी प्रसाद मौर्य का भूत चढ़ गया है… वे स्वामी प्रसाद मौर्य से डरते हैं, वे जानते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा के व्यक्ति है, उनके बयानों से उनकी पार्टी का बेड़ा गर्क होगा और वे जानते हैं कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे ही बयान देते रहे तो उत्तर प्रदेश में भाजपा को आने से कोई नहीं रोक सकता फिर भी पता नहीं क्या मजबूरी है..”
#WATCH गाजियाबाद: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “समाजवादी पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य की कहानी विक्रम बेताल जैसी है। अखिलेश यादव के ऊपर स्वामी प्रसाद मौर्य का भूत चढ़ गया है… वे स्वामी प्रसाद मौर्य से डरते हैं, वे जानते हैं… pic.twitter.com/WyyXKokZJn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 10, 2024
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य मंगलवार को बौद्ध एकता समिति की ओर से गनेशपुर में आयोजित बौद्ध जन जागरूकता सम्मेलन में मौजूद लोगों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस समय कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश जारी किया गया था, उस समय तत्कालीन सरकार अपने फर्ज को निभा रही थी। वह अपने कर्तव्य का पालन कर रही थी।