लखनऊ, 19 दिसंबर (भाषा) देश में शिया मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ‘ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड’ ने देश में मस्जिदों और दरगाहों में मंदिर होने का दावा कर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की और उच्चतम न्यायालय तथा सरकार से इसे रोकने के लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 का सख्ती से पालन कराने की अपील की।
यहां हुई बोर्ड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, पश्चिम एशिया में जारी इजराइल-फलस्तीन युद्ध और सीरिया में हुए राजनीतिक बदलाव जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बैठक में अनेक सदस्यों ने मस्जिदों और दरगाहों में मंदिर होने का दावा कर उनका सर्वे कराए जाने की मांग के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता जाहिर की और कहा कि अगर ऐसे ही होता रहा तो इससे मुल्क का माहौल बहुत खराब हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बैठक में उच्चतम न्यायालय और सरकार से इसे रोकने की अपील करते हुए कहा गया कि इस सिलसिले को बंद करने के लिए वर्ष 1991 में बने उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम को सख्ती से लागू कराया जाए, जिसमें कहा गया है कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर 15 अगस्त 1947 को देश में जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था, वह उसी स्वरूप में रहेगा।’’
मस्जिदों का सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले का बोर्ड ने स्वागत किया और कहा कि यह फैसला मस्जिदों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसने कहा कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द को बल मिलेगा और अल्पसंख्यक समुदाय का भरोसा बढ़ेगा।
बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सायम मेंहदी ने बैठक में कहा, ‘‘पिछले करीब एक दशक में असामाजिक तत्वों द्वारा मस्जिदों की दीवारों पर पथराव, भड़काऊ नारेबाजी और अपमानजनक टिप्पणियां, मस्जिदों पर जबरन दूसरे धर्मों के झंडे या प्रतीक लगाना और लाउडस्पीकर का दुरुपयोग कर मस्जिद के सामने भड़काऊ भाषण दिए जाने का चलन बढ़ा है। ऐसी हरकतें करने वाले संगठनों और असामाजिक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’’
वहीं, महासचिव अब्बास ने बैठक में कहा कि हाल के दिनों में मस्जिदों को निशाना बनाने के मामले बढ़े हैं, जो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए ख़तरा हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को ऐसी घटनाओं के प्रति सख़्त रवैया अपनाना चाहिए क्योंकि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकारों की जिम्मेदारी है।
बैठक में वक्फ संपत्तियों पर कथित अवैध कब्ज़े और इनके संरक्षण पर भी चर्चा हुई। बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी तंत्र बनाए जाने की भी वकालत की।
मेंहदी ने कहा, ‘‘वक्फ संपत्तियों का संरक्षण एक सामूहिक ज़िम्मेदारी है। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों की अमानत है, जिसे हमें हर हाल में सुरक्षित रखना होगा।’’
बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की कार्यवाही पर भी गहरी नाराज़गी जाहिर की।
अब्बास ने कहा, ‘‘जेपीसी को उन संगठनों की राय लेनी चाहिए थी जो वक्फ से सीधे जुड़े हैं, न कि उन संस्थाओं की जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।’’
बैठक में इजराइल और फलस्तीन युद्ध तथा सीरिया में हुए राजनीतिक बदलाव पर भी चर्चा हुई। बोर्ड के सदस्यों ने जोर देकर कहा कि गाजा में इजराइल द्वारा किए जा रहे ‘‘जनसंहार’’ को तुरंत रोका जाना चाहिए।
अब्बास ने कहा, ‘‘सीरिया में आतंकवादी संगठन हयात तहरीर अल शाम की सरकार बनी है। इस सरकार का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल जुलानी कर रहा है, जो आतंकवादी है। ऐसे में सीरिया में अल्पसंख्यकों, विशेषकर शिया समुदाय के लोगों और पवित्र स्थलों के लिए गंभीर ख़तरा पैदा हो गया है।’’
बोर्ड ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे सीरिया के पवित्र स्थलों और वहां के शिया समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
भाषा सलीम रवि कांत नेत्रपाल
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