नई दिल्ली। Budget Income Tax Economist : अगले महीने पेश होने वाले आम बजट से पहले अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई और रहन-सहन की लागत में वृद्धि को देखते हुए कर स्लैब तथा मानक कटौती के साथ आयकर कानून के तहत छूट सीमा बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग को सबसे बड़ी राहत तभी मिलेगी जब महंगाई नीचे आएगी और इसके लिए उपाय करने होंगे। आर्थिक विशेषज्ञों ने बिना छूट वाले आयकर ढांचे को सरल बनाने तथा इसे मौजूदा सात स्लैब से घटाकर चार स्लैब का करने की वकालत की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी। यह इस सरकार का अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है।
Budget Income Tax Economist : जाने-माने अर्थशास्त्री और वर्तमान में बेंगलुरु स्थित डॉ. बी आर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि ‘‘बजट में मध्यम वर्ग के लिये क्या होगा, इसका आकलन करना कठिन है। हालांकि, महंगाई को चार प्रतिशत के स्तर पर लाने का कोई भी उपाय स्वागतयोग्य कदम होगा। जहां तक कर स्लैब और मानक कटौती का सवाल है, रहन-सहन की लागत में वृद्धि को देखते हुए इसका मामला बनता है।’’
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Budget Income Tax Economist : आर्थिक शोध संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘आयकर की दरें और कर स्लैब संशोधन एक पेचीदा मामला है। हालांकि, आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत निवेश सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाया जा सकता है। इससे बचत को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, इसके लिये रिजर्व बैंक को नकारात्मक ब्याज दर की समस्या का समाधान करना होगा। नकारत्मक ब्याज दर का सबसे प्रतिकूल प्रभाव मध्यम वर्ग पर पड़ता है।’’
Budget Income Tax Economist : हालांकि, सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन प्रोफेसर सुदिप्तो मंडल का कहना है, कि ‘‘मेरे हिसाब से आयकर भुगतान करने वाले वेतनभोगी या मध्यम आय वर्ग के मामले में आयकर मोर्चे पर कोई बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है। सही मायने में यह तबका किसी भी तरह से वंचित समूह नहीं हैं और वास्तव में वे हमारी जनसंख्या के आय वितरण के ऊपरी छोर से जुड़े हैं। हालांकि, थोड़ी राहत के रूप में मानक कटौती सीमा में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।’’ फिलहाल मानक कटौती के तहत 50,000 रुपये तक की छूट है। सात स्लैब के सरल कर ढांचे के बारे में मंडल ने कहा, ‘‘वास्तव में वैकल्पिक आयकर ढांचे में बहुत अधिक कर स्लैब हैं। मेरे विचार में हमारे पास केवल चार कर स्लैब होने चाहिए। इससे चीजें सरल होंगी।’’ भानुमूर्ति ने भी कहा कि सात स्लैब वाली कर व्यवस्था कुछ जटिल है, इसे सरल बनाने की जरूरत है।
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Budget Income Tax Economist : उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2020-21 के बजट में वैकल्पिक आयकर व्यवस्था शुरू की थी। इसमें व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) पर कम दरों के साथ कर लगाया गया। हालांकि, इस व्यवस्था में किराया भत्ता, आवास ऋण के ब्याज और 80सी के तहत निवेश जैसी अन्य कर छूट नहीं दी जाती है। जहां पुरानी आयकर व्यवस्था में चार स्लैब हैं, वहीं वैकल्पिक आयकर व्यवस्था में सात स्लैब हैं।मध्यम वर्ग और आम लोगों को बजट से अन्य राहत के बारे में भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘बजट से एक बड़ी उम्मीद आर्थिक वृद्धि की बेहतर संभावनाएं सुनिश्चित करना है क्योंकि वृद्धि से रोजगार के अधिक अवसर बनेंगे। इसके अलावा बजट में कोविड के दौरान लायी गयी पीएम- किसान सम्मान निधि जैसी कुछ योजनाएं जारी रखी जा सकती हैं, क्योंकि आर्थिक गतिविधियां अभी तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई हैं और वैश्विक चुनौतियों से वृद्धि को लेकर जोखिम भी बढ़ रहा है।’’
Budget Income Tax Economist : म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य की भी भूमिका निभा रही लेखा चक्रवर्ती ने कहा, कि ‘‘बढ़ती महंगाई एक महत्वपूर्ण कारक है जो मध्यम वर्ग और गरीबों को प्रभावित कर रही है। मुद्रास्फीति से निपटने में आरबीआई की सीमाओं को देखते हुए, राजकोषीय नीति के जरिये शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश को मजबूत करने के साथ-साथ रोजगार गारंटी और खाद्य सुरक्षा के माध्यम से लोगों को समर्थन देने की आवश्यकता है। ये चार चीजें कर स्लैब में संशोधन के माध्यम से कर ढांचे में बदलाव की तुलना में अधिक प्रभावी होंगे।’’
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Budget Income Tax Economist : बजट में प्राथमिकताओं के बारे में मंडल ने कहा, ‘‘कोविड महामारी से आर्थिक वृद्धि प्रभावित हुई है, दूसरी तरफ मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। हालांकि, अब यह धीरे-धीरे नरम हो रही है। ऐसे में पहली प्राथमिकता, आर्थिक वृद्धि को गति देना होनी चाहिए। दूसरी प्राथमिकता सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत के करीब पहुंच चुके चालू खाते के घाटे (कैड) को काबू में लाने के लिये निर्यात को बढ़ावा देना होनी चाहिए।’’ भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘ निजी क्षेत्र से कर्ज की मांग सुधर रही है, ऐसे में इस क्षेत्र के लिए ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए बजट को बचत बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही व्यय और राजस्व दोनों पर ध्यान केंद्रित करके राजकोषीय घाटे को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण यानी बाजार पर चढ़ाने के साथ-साथ विनिवेश पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। विनिवेश लक्ष्य के अनुसार नहीं होने से बजट में राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल होगा।
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