नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े पंचायत को लहूलुहान करने की नाकाम कोशिशों की बीच आज संसद पर हमले के 21 साल पूरे हो चुके है। आज के ही दिन साल 2001 में पांच आतंकियों ने देश की संसद पर हमला बोल दिया था। आतंकी अपने नापाक मंसूबो के साथ संसद के भीतर दाखिल होकर मंत्री और नेताओं को अपना निशाना बनाना चाहते थे लेकिन संसद की सुरक्षा में लगे वीर जवानों ने उनका डटकर मुकाबला किया और सभी पांच आतंकियों को ढेर कर दिया। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। जबकि कुल 14 लोगों की इस हमले में मौत हुई थी।
दरअसल 13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र जारी था। संसद के भीतर ताबूत घोटाले पर बहस हो रही थी। इसी दौरान करीब साढ़े 11 बजे एक एम्बेस्डर कार ने संसद के गेट से एंट्री ली। इस वहां में गृह मंत्रालय का स्टीकर भी लगा हुआ था। जवान या संसद के कर्मचारी कुछ समझ पाते इससे पहले ही हथियारबन्द आतंकी सीधे संसद के करीब पहुँच गए और फिर अंधाधुन गोलीबारी शुरू कर दी। हालांकि संसद की सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने उनका डटकर मुकाबला किया और फिर घंटो तक चले मुठभेड़ के बाद सभी पांच आतंकियों को ढेर कर दिया। बताया जाता है कि अगर आतंकी संसद के भीतर दाखिल होने में कामयाब रहते तो वह आसानी से वीआईपी नेताओं को अपना निशाना बना सकते थे क्योंकि संसद के भीतर नेताओं के साथ उनके सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं होते।
उल्लेखनीय है कि संसद भवन पर हुए इस हमले की साजिश अफजल गुरु ने रची थी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पता चला था कि उसने पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग भी ली थी। बता दें कि साल 2002 में दिल्ली हाई कोर्ट और साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उसको फांसी की सजा सुनाई थी। 9 फरवरी 2013 की सुबह अफजल गुरू को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।