नई दिल्ली। लेदर का एक अच्छा सब्सिट्यूट ढूंढ निकाला गया है। मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को इकट्ठा करके और उनकी प्रोसेसिंग कर के एक ऐसा मटेरियल तैयार किया है जो लेदर का बहुत अच्छा विकल्प है। इसे फ्लेदर नाम दिया गया है।
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इंटरनेशनल मार्केट में फूलों से बने फ्लेदर की डिमांड बहुत अधिक है. शहर के उद्यमी अंकित अग्रवाल ने आईआईटी कानपुर की मदद से फ्लेदर तैयार किया है। इस फ्लेदर से बने बैग, पर्स, जैकेट, जूते और बेल्ट यूरोपियन मार्केट में धूम मचा रहे है।
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Phool कंपनी के फाउंडर अंकित ने बताया कि वह मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को इकट्ठा करते है और उनकी प्रोसेसिंग करके एक ऐसा मटेरियल तैयार किया है जो चमड़े को टक्कर दे रहा है। उन्होंने बताया कि आईआईटी के छात्र-छात्राओं की टीम के साथ मिलकर हमने स्टार्टअप स्थापित किया।
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फिर दो साल तक आइआइटी कानपुर की अत्याधुनिक प्रयोगशाला में कई प्रयोग करने के बाद यह फ्लेदर बनाया गया। इसमें आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीयनरिंग की पढ़ाई करने वाले नचिकेता अहम भूमिका निभाई।
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अंकित ने बताया कि आईआईटी कानपुर की मदद से उन्होंने फूल स्टार्टअप स्थापित किया और इनोवेशन में जुट गए. उन्होंने दो सालों तक कड़ी मेहनत के साथ ही अत्याधुनिक लैब में कई रिसर्च करने के बाद फूलों से बैक्टेरिया को विकसित कर फ्लेदर बनाने में सफलता हासिल की।