damag due to intoxication of ganja
रायपुर। Rutgers इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ, हेल्थ केयर पॉलिसी और एजिंग रिसर्च की एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि स्मार्टफोन सेंसर, जो जीपीएस सिस्टम में इस्तेमाल किया जाता है, वह ये निर्धारित करने का एक तरीका भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति नशीले पदार्थ का सेवन करने के बाद नशे में है या नहीं।
जर्नल ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस में प्रकाशित अध्ययन में नशीले पदार्थ के नशे के व्यक्ति का पहचान करने के लिए स्मार्टफोन सेंसर डेटा का उपयोग से मूल्यांकन किया गया, जिसमें स्मार्टफोन सेंसर डेटा के संयोजन को 90 प्रतिशत तक सही पाया गया।
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संबंधित लेखक, टैमी चुंग, मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और रटगर्स इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ, हेल्थ केयर पॉलिसी एंड एजिंग रिसर्च में सेंटर फॉर पॉपुलेशन बिहेवियरल हेल्थ के निदेशक ने कहा है किसी व्यक्ति के फोन में सेंसर का इस्तेमाल करके हम ये पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं कि कोई व्यक्ति कब नशीले पदार्थ के नशे का अनुभव कर रहा है और एक संक्षिप्त हस्तक्षेप दे सकता है कि कब और कहां नशीले पदार्थ से संबंधित नुकसान को कम करने के लिए इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव हो सकता है।
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कैनबिस नशा धीमी प्रतिक्रिया समय के साथ जुड़ा हुआ है, जो काम या स्कूल में प्रदर्शन को प्रभावित करता है या ड्राइविंग व्यवहार को प्रभावित करता है जिससे चोट या मृत्यु हो जाती है।
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ऐसे हुई टेस्टिंग
जर्नल ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस में प्रकाशित अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने उन युवा वयस्कों से एकत्र किए गए दैनिक डेटा का विश्लेषण किया, जिन्होंने प्रति सप्ताह कम से कम दो बार भांग का सेवन करने की सूचना मिली।