Criminal Procedure Bill passed : नई दिल्ली। सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस बिल में गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों के बायोमेट्रिक इंप्रेशन लेने का अधिकार पुलिस को दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस बिल को राज्यसभा में पेश करते हुए बताया कि इस बिल की जरूरत इस वजह से है क्योंकि हमारे देश में आधे से ज्यादा गंभीर मामलों में अपराधी सिर्फ इस वजह से छूट जाते हैं, क्योंकि सबूतों में कहीं ना कहीं कमी रह जाती है और यह कानून बनने के बाद पुलिस को अपनी जांच को और सबूतों को और पुख्ता करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में बिल को पेश करते हुए कहा यह बिल हर मामले के लिए नहीं लाया गया, बल्कि उन मामलों के लिए लाया गया है जहां पर धाराएं गंभीर होती हैं। इस बिल को लाने का मकसद दोषियों को सजा दिलवाने का है ना कि किसी बेगुनाह इंसान को परेशान करने का। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज के समय में ऐसा लगता है कि पुराना कानून पर्याप्त नहीं है, इस बिल को संसद में पेश करने से पहले विधि आयोग ने इसकी संतुति भी दी है।
दलों से ली जानी थी राय- चिदंबरम
वहीं इस बिल पर बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि मुझे दुख है ये बिल संविधान को तोड़ रहा है। इस बिल को लाने से पहले कोई सुझाव नहीं लिया गया है। चिदंबरम ने कहा कि मेरे सहयोगी लगातार इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की बात कर रहे हैं और मेरे हिसाब से इसमें कुछ गलत नहीं है। अगर हमने कानून के संशोधन के लिए 102 साल इंतजार किया है तो आखिर 102 दिन और इंतजार क्यों नहीं कर सकते। चिदंबरम ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है इस वजह से हमें इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
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चर्चा के बीच गोधरा कांड का जिक्र
बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व डीजीपी और मौजूदा बीजेपी सांसद बृजलाल ने गोधरा कांड का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना को एक अलग स्वरूप देने की कोशिश की गई थी, इसी वजह से जरूरी है कि कानून में संशोधन हो। बृजलाल ने इसके अलावा दिल्ली के बाटला हाउस की घटना का भी जिक्र करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने वहां पर भी राजनीति करने की कोशिश की थी और आतंकियों के लिए आंसू बहाए थे। बृजलाल के इस बयान पर सदन में थोड़ा हंगामा भी हुआ जिसके बाद अमित शाह ने कहा कि बृजलाल ने जो कहा है वह सही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में माना है।
अमित शाह ने कहा कि यह संशोधन इस वजह से किया जा रहा है कि गंभीर अपराधों में शामिल लोग सबूतों के अभाव में बरी ना हो जाएं। हत्या के मामले में निचली अदालत में महज 44 फीसदी लोगों को सजा मिल पाती है। बाल अपराध के मामलों में 37% मामलों में ही सज़ा हो पाती है। अलग-अलग देशों का जिक्र करते हुए शाह ने बताया कि कैसे वहां पर कानून सख़्त हैं और उसकी वजह से दोषियों को सजा मिलती है।