द चार्जशीट: भूपेश सरकार में 540 करोड़ का कोयला घोटाला! ED की चार्जशीट में खुलासा..जानें कैसा दिया गया अंजाम

the chargesheet: कोयला के अकूत भंडार से संपन्न छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला उत्खनन का काम भारत सरकार का उपक्रम एसईसीएल यानी साऊथ इस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड करता रहा है...। एसईसीएल कोयला खनन करता है, और जिसके बाद कोल कारोबारी, उद्योगपति या दूसरे ग्राहक उससे कोयला खरीदते हैं..।

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  • Publish Date - February 10, 2024 / 11:00 PM IST,
    Updated On - February 10, 2024 / 11:02 PM IST

the chargesheet: रायपुर। द चार्जशीट के स्पेशल शो में आज बात छत्तीसगढ़ में हुए कोयला घोटाले की..। ईडी की चार्जशीट बताती है कि छत्तीसगढ़ की पिछली भूपेश सरकार में 540 करोड़ के कोयला घोटाले को अंजाम दिया गया..। इस पूरे घोटाले को सुनियोजित तरीके से सिस्टम में सेंध लगाकर अंजाम दिया गया…। आइए जानते हैं क्या था ये कोयला घोटाला और इसे कैसे अंजाम दिया गया…।

छत्तीसगढ़ राज्य अपनी जिन खनिज संपदाओं के लिए जाना जाता है उसमें कोयला सबसे अहम है..। छत्तीसगढ़ का उन्नत कोयला ना केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी सप्लाई होता है..। यहां का कोयला राज्य के खजाने को भी राजस्व के रूप में अपना काफी योगदान देता है.। लेकिन कुदरत के इसी अनमोल खजाने पर यहां के सिंडीकेट ने लगा दी बड़ी सेंध…।

जी हां…जांच एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि महज दो सालों में ही छत्तीसगढ़ में 540 करोड़ के कोयला घोटाले को अंजाम दे दिया गया…। लेकिन इससे पहले कि हम आपको ये बताएं कि इस घोटाले किसने और कैसे अंजाम दिया…आइए पहले जानते हैं कोयला उत्पादन से लेकर उसके सप्लाई तक का वो सिस्टम जिसके जरिए अब तक इस राज्य में कोल प्रोडक्शन से लेकर सप्लाई तक की पूरी प्रक्रिया चलती थी…।

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कोयला के अकूत भंडार से संपन्न छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला उत्खनन का काम भारत सरकार का उपक्रम एसईसीएल यानी साऊथ इस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड करता रहा है…। एसईसीएल कोयला खनन करता है, और जिसके बाद कोल कारोबारी, उद्योगपति या दूसरे ग्राहक उससे कोयला खरीदते हैं..।

15 जुलाई 2020 के पहले तक इस पूरी प्रक्रिया के लिए पारदर्शी सिस्टम बना हुआ था. कोयला खरीदने वाला ग्राहक एसईसीएल के पास 500 रुपये प्रति टन के हिसाब से ईएमडी यानी ईर्नेस्ट मनी डिपॉजिट जमा करता था…। इसके बदले एसईसीएल उन्हें सीडीओ यानी कोल डिलिवरी ऑर्डर जारी करता था…।

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ग्राहक को 45 दिनों के भीतर कोयला का उठाव कर लेना होता था, नहीं तो सीडीओ लैप्स होकर ईएमडी जब्त हो जाती थी…। एसईसीएल ईएमडी के रूप में जमा हुए इस 500 रुपये में से राज्य के हिस्से की राशि सीधे उसके खाते में जमा कर देती थी और ग्राहक को कोयला परिवहन के लिए TP यानी ट्रांसपोर्ट परमिट जारी कर देता…।

उद्योग या कोयला कारोबारी इस टीपी के जरिए कोयला का उठाव कर लेते….। ये पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन थी और सब कुछ पारदर्शी तरीके से हो रहा था..जिसमें राज्य की कोई भूमिका नहीं थी…। लेकिन सन 2020 में यहीं पर इंट्री होती है घोटाले बाजों की और दे दिया जाता है 540 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कोल घोटाले को अंजाम..।

राजेश राज, आईबीसी 24, रायपुर