IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : छोटे से गांव में रहकर नागेश्वरी नाग ने किया टॉप, अब बनेगी बड़े अफसर

छोटे से गांव में रहकर नागेश्वरी नाग ने किया टॉप, अब बनेगी बड़े अफसर! IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper nageshwari nag

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  • Publish Date - July 7, 2022 / 06:09 AM IST,
    Updated On - November 28, 2022 / 09:28 PM IST

रायपुर। अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। कांकेर जिले की नागेश्वरी नाग ने जिले का मान बढ़ाया है। 12वीं परीक्षा में 471 अंक हासिल किया। नागेश्वरी नाग ने शा. हा. से. स्कूल, पोंडगांव, कांकेर में अपना पढ़ाई पूरी की है।

नागेश्वरी नाग ने कहा कि “आप जो चाहो वो कर सकते हो, बशर्ते आप उसे अंदर से करना चाहो। बस इसी मंत्र के साथ मैं आगे बढ़ी और आज इस मुकाम को हासिल कर पाई।“

छोटे से गांव से बड़े अफसर बनने के ख्वाब का नाम है नागेश्वरी

नागेश्वरी नाग की जुबानी… मैं एक छोटे से गांव से आती हूं। बस्तर के ऐसे अंचल से जहां जीवन प्रकृति के बीच अधिक रहता है। दुनियाभर में रक्तपात के लिए जाना जाने वाला यह इलाका हराभरा भी है, यह चर्चा में नहीं आ पाता। छोटे से गांव से निकलकर इस उपलब्धि तक पहुंचना मेरे लिए अपने आपमें बड़ी उपलब्धि है। मैंने यहां का वह पिछड़ापन भी देखा है जहां से जीवन संघर्ष के उच्चत्तम शिखर पर नजर आता है। मैंने ठान लिया था कि मुझे अपनी ओर से मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ना। हर स्तर पर ऐसा डेडीकेशन दिखाना है कि कोई भी विषय कमजोर न रहे। इसके लिए स्कूल के अलावा घंटों पढ़ाई की। परिवार का इसमें बड़ा साथ रहा। स्कूल शिक्षकों ने भी हर डाउट को ठीक किया। मैंने भी कोई झिझक नहीं रखी। जब जो चीज समझ में नहीं आई उसे पूरी तरह से क्लीयर किया। मैं चाहती हूं अपने ही प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारी बनूं। इसके लिए अच्छे लोगों का मार्गदर्शन व सहयोग चाहिए। मुझे उम्मीद है मैं यूपीएससी क्रैक कर लूंगी। अगर हमारा कॉन्फिडेंस प्रबल है तो कोई मंजिल दूर नहीं लगती। हम वह हर चीज हासिल कर सकते हैं जिसे करना चाहते हैं। बशर्ते हम अपने भीतर से उसके लिए जिद्दी हों। मैंने यही किया। बीते वर्ष जब कोरोना आया तो मैंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि मिले खाली समय को घर पर पूरी तरह से पढ़ाई की ओर मोड़ दिया। तबकी पढ़ाई और बनाया गया बेस मुझे आगे काम आया। आज आईबीसी-24 की स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप ने मेरे आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया।