मंडला। शिक्षक दिवस पर हम आज आपको ऐसे शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ भावना से छात्रों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है। सारी सुख सुविधा छोड़कर मंडला के सालीबाड़ा गांव को अपना ठिकाना बनाया। गांव में वो विगत 10 सालों से बिना वेतन की शिक्षा दे रहे हैं। शिक्षक दिलीप केमतानी जबलपुर के बड़े उद्योपति केमतानी परिवार से ताल्लुख रखते हैं। लेकिन वे सारी सुख सुविधा छोड़ प्रकृति के करीब रहकर छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं। दिलीप केमतानी को बाबू जी के नाम से जानते है, जो इस समय पूरे मंडला जिले के लिए मिसाल बने गए हैं।
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दिलीप सालीबाड़ा गांव में साल 2003 में खुले हुए नवीन माध्यमिक शाला में शिक्षक नहीं होने के चलते दस सालों तक बिना तनख्वाह के बच्चों को अंग्रेजी, गणित और भूगोल पढ़ाते रहे। हालांकि कुछ सालों से इन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में वेतन मिल रहा है। लेकिन जितना भी तनख्वाह बाबू जी को मिलता है वो सारा का सारा स्कूल के बच्चों को शिक्षा देने और प्राकृति के बारे में बताने के लिए खर्च कर देते हैं। भले ही स्कूल में कोई सरकारी शिक्षक ना आए लेकिन बाबू जी के साइकिल का पहिया समय पर घूमता है और स्कूल में सबसे पहले आते हैं।
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दिलीप केमतानी साइकिल से ही यूपी, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य घुमकर आखिर में मंडला आ गए और एंकात स्थान में रहने का विचार किया और मंडला जिले के बनियारा में आकर अकेले बस गए। दिनभर घर का काम कर यहां आकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। बाबू जी जिस तरह से बच्चों को पढ़ा रहे हैं उनके इस जज्बे को देख जिले का हर कोई कायल है। यह शिक्षक उन लोगों के लिए प्रेरणा साबित हो सकता है जो सेवा में रहते हुए भी अपने काम के प्रति लापरवाही बरतते हैं।
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